बैठे हो किसके गोद में?प्रसिद्ध यादव द्वारा क्रांतिकारी कविता शेयर करें।
अधिकार का हो हनन
फिर भी रहे मगन।
निःसंदेह! वो गुलाम है।
कुत्ते भी हैं भौंकते!
अगर छीन ले उसकी रोटी
मर -मिट गये गिद्ध जटायू!
किया था रावण अपहरण!
जब रो रही थी नंदनी बेटी ।
बनते हैं वीर- वांकुरे !
सत्ता के जूठन चाटते।
अपने जड़ कटवाते
भविष्य को मिटवाते।
कितने जतन से ?
बाबा साहेब
आदमी को आदमी बनाया।
सत्ता की लालच में क्यों?
मनुवादी के गोद में बैठा!
अलग -थलग होकर
करते हो ताकत की बात।
कोई गीदड़ भी झपट लेगा
मिलेगा बस!
बिछू का डंक।
न मिलेगी कुर्सी
न मान -सम्मान।
न पूरे होंगे अरमान
ध्वस्त होंगें सपने
दुश्मन बने हैं अपने ।
कहो!कब जागोगे सुजान।
प्रसिद्ध यादव।
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