अलविदा! एक जन-नेता का सफर हुआ पूरा: प्रोफेसर वसीमुल हक़ 'मुन्ना नेता' नहीं रहे !


   

सूत्रधार परिवार ने गहरी संवेदना व्यक्त की।


​आज खगौल, दानापुर, और पटना के राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में एक गहरा शून्य छा गया है। हमारे बीच अब प्रोफेसर वसीमुल हक़, जिन्हें प्यार से लोग 'मुन्ना नेता' के नाम से जानते थे, नहीं रहे। उनका जाना सिर्फ उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिनकी आवाज़ वह बनकर उभरे थे।

सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम व कार्यक्रम आयोजक प्रो प्रसिद्ध कुमार ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।

​प्रोफेसर वसीमुल हक़ का राजनीतिक सफर युवा कांग्रेस से शुरू हुआ था, जहां उन्होंने ज़मीनी स्तर पर काम करना सीखा। अपनी मेहनत, लगन और लोगों से सीधे जुड़ाव के कारण, वह जल्द ही पहचान बनाने में सफल रहे। हाल के दिनों में, वह लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में एक सक्रिय और प्रभावशाली नेता थे। उनका समर्पण अल्पसंख्यकों के हक़ और विकास के लिए हमेशा अटल रहा।

​ विरासत का मजबूत आधार

​मुन्ना नेता जी की जड़ें बहुत गहरी और प्रतिष्ठित थीं।

​उनके पिता, डॉ. हफ़ीज़ुल हक़, खगौल, फुलवारी शरीफ, पुनपुन, दानापुर, बिहटा, मनेर, नौबतपुर और पटना के इलाके में एक मशहूर होम्योपैथिक डॉक्टर थे और साथ ही खगौल नगर पालिका क्षेत्र के पूर्व उप-अध्यक्ष भी रह चुके थे।

​उनके दादाजी फतुहा, पुनपुन, और मसौढ़ी क्षेत्रों के एक महान ज़मींदार थे।

​यह एक दिलचस्प तथ्य है कि उनकी दादी की माँ (पिता की दादी) मिस्र (Egypt) की एक बेहद ख़ूबसूरत महिला थीं।

​इतनी समृद्ध विरासत और समाज सेवा की गहरी परंपरा से आने वाले प्रोफेसर हक़ ने अपने परिवार की सेवा भावना को आगे बढ़ाया और अपनी एक अलग पहचान बनाई।

​🙏 अंतिम विदाई

​इस दुःख की घड़ी में हमारी संवेदनाएं उनके परिवार, समर्थकों और प्रियजनों के साथ हैं।

​उनका सुपुर्द-ए-खाक (अंतिम संस्कार) खगौल स्थित जमालुद्दीन चक में होगा।

​हम दुआ करते हैं कि अल्लाह उनकी रूह को जन्नत में आला मुकाम अता फ़रमाए और उनके परिवार को यह सदमा सहने की हिम्मत दे। मुन्ना नेता का नाम उनके काम और लोगों के दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेगा।

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