बाहुबल नहीं,संख्या बल है!


 बाबूचक, पटना।

आरती श्री बाहुबली की!

अब राजनीति दलअपने -अपने हिसाब से  बाहुबली को चिन्हित और परिभाषित करती है।जब तक गले लगा के रखते हैं,तब तक दूध के धुले और जैसे ही विरोधी खेमे में गया,दबंग की मुहर लग जाती है।अनंत सिंह,रामा सिंह,हुलास पांडेय,राजबल्लभ यादव,कौशल यादव,मंजू वर्मा ,पप्पू यादव,रीतलाल यादव,अरुण यादव,शहाबुद्दीन, मुन्ना शुक्ला, आनंद मोहन ,धूमल सिंह,भगवान सिंह कुशवाहा  जैसे अनेक नाम हैं जो दल के हिसाब से दबंग कहा जाता है।ये सत्ता पक्ष और विपक्ष का अधिकार है की किसे क्या कहें! अगर वो किसी को दागदार बताता है तब उसे अपराधी साबित करे।बहुत से नेता परिस्थिति वश और बहुत फंसाये गए हैं।अगर ये समाज के दुश्मन है तब जनता क्यों विजयी बनाती है?राजनीति दल को चाहिए संख्या बल और इसलिए हर दल जिताऊ उम्मीदवार खोजता है,चाहे दाग कितना भी गहरा क्यों न हो?चलेगा।यह लोकतंत्र है यहां हर रोज नया प्रयोग होता है और बाहुबली भी राजनीति की एक प्रयोग है।ये सरकार बनवा सकती है,जरूरत पड़ने पर दो -चार की व्यवस्था भी कर सकती है या किसी से दो चार करने में संकोच नही होता है।अब बाहुबल नहीं,संख्या बल कहिये।

प्रसिद्ध यादव।

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