समर्पण, निष्ठा से मिलेगी प्रतिष्ठा!प्रसिद्ध यादव के साथ शेयर करें।



बाबूचक, पटना। समर्पित कार्यकर्ता हाशिये पर!

चुनाव इतना खर्चीला और राजनीति दल के टिकट पाना संजीवनी बुटी जैसा हो गया है।वाम दलों को छोड़ दें तब आज सभी दलों में पैराशूट से उतरे नेता,लक्ष्मी पुत्र,बाहुबली या राजनीति विरासत के लोग किसी भी दल से टिकट पाने में कामयाब हो जाते हैं।राजनीति दलों की एक ही आदर्श है जीतने वाला आदमी चाहिये,क्योंकि संख्या बल से बहुमत मिलती है,बहुमत से सरकार और सरकार से जनता को सेवा करने का अवसर।यही नैतिकता, नीति और नियत है।अब कौन दागी है और दूध के धुले हैं,यह बुद्धिजीवी के तर्क वितर्क के मसाला से ज्यादा कुछ नही है।समर्पित कार्यकर्ता को समर्पण होने के लिये कौन कह रहा है? अगर कोई है तो उसकी इच्छा या मजबूरी है।कोई राजनीति दल समर्पण होने के लिये थोड़े कह रहा है।अगर कोई समर्पित होकर टिकट की उम्मीद करता है ,तब उसे चमक दमक वाले पार्टी से दूर वाम दलों के कार्यकर्ता बनें,मुरादें पूरी हो सकती है,बाकी जगह ट्रैफिक जाम है।राजनीति कोई पेशा नहीं,सेवा का क्षेत्र है।फिर टिकट के लिये मारामारी क्यों? निष्ठा रखिये,समर्पित रहिये,दल के विचार धारा के साथ चलिये,बस!कभी न कभी नम्बर आ ही जायेगा,नही आया तो कोई बात नही पहचान वाले बन ही जायेंगे,चिंता किस बात की?ठेकेदारी, पोस्टिंग, ट्रांसफर करवाने में भी लक्ष्मी के योग हैं।अब कौन बाकी रहा?सभी होंगे मालामाल केवल तकनीक और धैर्य चाहिय।
प्रसिद्ध यादव।

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