मुर्दों पर सिँहासन! कविता- प्रसिद्ध यादव अवश्य पढ़ें।

 मुर्दों पर सिंहासन ! 

थोड़ी सी चीख पर

चौकन्ने हो जाता हूँ।

कहीं कोई अप्रिय

घटना तो नही घटी।

मुजफ्फरपुर की आश्रय गृह

11 बच्चीयों को दुष्कर्म कर

उसी में दफना दी गयी।

कोई कैसे न चीख सुना?

  सेवा के बदले  

हैवानियत के लिये 

करोड़ों के खजाने लुटाये गये

कोई नही था देखने वाला?

अंधा युग का अंधेरा था।

सिर्फ दम्भ भरे जा रहे थे सुशासन की

दुशासन का चीर हरण जारी था।

साहू गली में सब को पता था

केवल अनभिज्ञ 

मुर्दों पर बैठा मूर्ख था

या उसकी बेवसी थी!

कैसे चीखती,गिड़गिड़ाती होगी बेटियां!

किसी को भनक तक नही लगी।

यह दुनिया की सबसे बड़ी 

झूठ और कलंक है

जो कभी न मिटेगी

प्रसिद्ध यादव।


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