निजी विद्यालय की मनमानी कौन रोकेगा? जवाब दे सरकार! प्रसिद्ध यादव के साथ शेयर करें।
बिहार में निजी विद्यालय की मनमानियों से विद्यार्थियों के अविभावक एवम विद्यार्थी काफी परेशानी में हैं।सरकार की इस पर कोई नियंत्रण नही है।इनपर नियंत्रण के कई कानून बने हुए है,लेकिन इससे स्कूल प्रबंधन पर कोई फर्क नही पड़ता।शिक्षा का पूर्णरूपेण व्यवसायीकरण हो गया है।पुश्त दर पुश्त आय का जरिया बनकर रह गया है।कोविड के बन्दी में भी शुल्क वसूल किया जा रहा है।ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर पैसों की उगाही की जा रही है,जबकि विद्यालय के स्टाफ और शिक्षकों को वेतन नही दिए गए और कई को बाहर के रास्ते दिखा दिए गए।हर साल नामांकन के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है।यही नही खेल,कम्प्यूटर, ड्रेस,कॉपी,किताब,टूर के नाम पर कमीशनखोरी होती है। स्कूल प्रबंधन का राजनीति से सीधा लगाव है ।ये चुनाव में नेता को मोटी रकम मुहैया करवाते हैं और नेता के चुनाव जीतने के बाद उनके फंड से स्कूल के पास सड़क बनवाते हैं।अब ऐसे में जनप्रतिनिधि भी स्कूलों के खिलाफ कुछ बोलने से परहेज करते हैं।बड़े बड़े विज्ञापन देकर चौथे स्तम्भ को भी तटस्थ रहने को विवश रहने को मजबूर करते हैं ।आखिर, कौन सुनेगा जनता की पीड़ा को ?सरकार अविलम्ब मनमानी करने वाले निजी विद्यालयों पर लगाम लगाए।
प्रसिद्ध यादव।

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