तेरे सर पे ताज है! थूक कर चाटे हो। प्रसिद्ध यादव।
पत्थर की बनी हुकुमत
इंसानियत को क्या जाने?
खुलेयाम् नीलाम है सत्ता
यहाँ लगती है बोली
करे प्रतिकार तब चलती है लाठी गोली।
हमारे सर पे भी होता ताज
होता तख्त बने होते महाराज।
सत्ता की जूठन चाटने वाले
क्या करोगे बराबरी?
चोरी, बेमानी कर के
किया जनमत की हकमारी।
हम काँटों पर चलते हैं
नही चाह गुलदस्तों की
हम आन बान शान से रहते हैं
अपनी राह खुद बनाते हैं
हम लाठी खाये
हम पत्थर खाये
क्योंकि, हम वादे के पक्के हैं।
प्रसिद्ध यादव।
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