बिना मास्क वाले बहादुर! प्रसिद्ध यादव।

 



चारों तरफ कोरोना के वायरस, सरकार की अपील, पुलिस के दंड, जान की खतरा, फिर भी कुछ लोग बिना मास्क पहने छूटे सांढ़ की तरह घूमते नज़र आ जायेंगे। ऐसे लोगों को बेवकूफ कहेंगे, नहीं। कभी इनकी डिग्री देख लीजिये, शर्मिंदा हो जायेंगे, इनसे बहस कर लीजिये, पसीने छुड़ा देंगे। इसलिए इन्हें वीर बहादुर कहिये, कहीँ मिले तो करतल धवनि से स्वागत कीजिये। माला पहनाने के लिए नही कहेंगे, क्योंकि ऐसे लोग 50 % चासन्से हैं की पॉजिटिव हों। एक तरफ अस्प्ताल में बेड नही, आक्साइजें नहीं, एंबुलेंस नही, फिर भी इतनी घोर लापरवाही, कुछ तो दम है, जान हथेली पर लेकर घूमते हैं, किसी लैला के लिए नही अपनी प्यारी कोरोना के लिए की आओ गले लगाओ की अब दिल लगता नही, हम मरे अमर हो जाएं, दुसरों को भी मार दें। मैं तो कब से खड़ा हूँ तेरे राह में, अब आ जाओ मेरे यार। बिना मास्क पहनने वाले की मुरादें जरूर पूरी होगी, लेकिन अफसोस की वो कुछ देखने के लिए नही होंगे। 

सेमी बहादुर! ये 45 + के हैं, लेकिन टीका नही लगाएंगे। ये बलशाली है, भाग्यशाली हैं, इन्हें कोरोना वोरोना क्या बिगडेगा? अगर गलती से कोरोना इनके पास फटका तब वो खुद स्वाहा हो जायेगा। ऐसे गधे को कौन संझायेगा? 

डमी बहादुर! दो गज दूर रहो, लेकिन दो  जिस्म एक जान की तरह चिपके रहेंगे। अवसर की तलाश में रहते हैं की कोई चक्कर चल जाये। जरूर हसरतें पूरी होगी, जब तड़पोगे। 

सफाई नहीं रखेंगे। कुछ के तर्क है की पागल कौन सेनेट्रैज् करता है, कभी सुने है किसी पागल को कोरोना होते हुए। अब संझाइये इस मुस्टंड को। कोरोना से बचाव के जितने भी उपाय है क्या वो इतना टफ् है, नही। लोग आदत से लाचार है, सड़े हुए आम है, जो औरों को सराने पर आमदा है। बचिये! ऐसे घटिया, सड़े गले लोगों से, व्हिष्कार कीजिये। 

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