हमें बुजदिल ना समझें! प्रसिद्ध यादव।
वक्त वक्त की बात है की हम घर में छुपे हुए हैं, चेहरे पर नकाब लगाकर घूम रहे है। इसका मतलब ये नहीं की हम थके हारे हुए लोग हैं, कायर, डरपोक हैं। मेरे पास भी एकदिन समोसे, चाट, छोले बटोरे, कचरी घुघनि, डोसे, ब्रियानी, टिके, गोलगप्पे, आईस्कृम होंगे। खुद खायेंगे और खिलाएंगे भी, लेकिन खाने के लिए मेरे तरह घरों में बंद रहो। जो ज्यादा लबर लबर किया वो अभी कहाँ है? कोरोना मुदाई से लड़ना है तब थोड़ा धैर्य रखे। मेरा काम है कहना, अब मानो न मानो मेरा क्या?
Comments
Post a Comment