महंगाई क्या है? चमरी भी उधेर दो, फिर भी अहोभाग्य हमारे! प्रसिद्ध यादव।
महंगाई क्यों नहीं दिखती?
जनता त्रस्त और सरकार मस्त। बेरोजगारी चरम पर है, कोरोना से लोगों के रोजगार चला गया, लेकिन महंगाई नित्य अंगड़ाई ले रही है, डीजल, पेट्रोल इतनी उर्जवाँ हो गयी है कि नाम सुनकर शितिपिठी गुम हो जाती है। खाने वाले तेल भी प्रतियोगिता में पीछे नही है। दाल के रेट से पल्स रेट बढ़ रहा है तो गैस सिलेंडर की तल्ख तेवर से चूल्हा भकभका रहा है। इसका असर निम्न और मध्य परिवार पर पर रहा है, बंगले, अटारी वाले तमाशबीन हैं। सरकार की लुभावन नीतियों में जनता ऐसे पेरा रही है, जैसे कोल्हू के बैल! कोल्हू से तेल निकलती है, यहाँ बालू पेरा रहा है। महंगाई की असर राजनेताओं के यहाँ नही पड़ रहा है, इसकी पोल बरसात की पानी ने खोल दी, जब पटना में फ्लैट के चरदीवारी के अंदर ब्रांडेड शराब की रैपर, बोतल दिखाई दी। पानी पानी कर के छोड़ दिया, महंगाई और शराब बंदी दोनों की, लेकिन ऊँचे रसुख वाले की ये विशिष्ट संस्कार में आते हैं। सरकार इस महंगाई से बेफिक्र है, क्योंकि जनता की बर्दास्त करने की क्षमता बढ़ गयी है और इतनी दुर्गति होने के बाद भी लोग सरकार की यशोगान करने से नही थक रहे हैं।
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