ब्राहमं से भय नहीं खाते हैं, तब आप संस्कारी नहीं है- गुप्तेश्वेर् पांडेय।
बिहार के पूर्व डीजीपी को राजनीति में दाल नहीं गली तो अब कथावाचक बन गए। वृंदावन में कथा सुना रहे हैं, जहाँ केंद्रीय मंत्री इनके चरणों में नतमस्तक होकर इनके हौसला बढ़ा रहे हैं। प्रवचन में संदेश दे रहे हैं की जो ब्राहमं से भय नहीं खाये वो संस्कारी नही है। ऐसे लोग डीजीपी रहते कितना निष्पक्ष काम किया होगा? संदेह होता है।आखिर कैसा और क्यों भय? क्या रावण वाला भय स्थापित करना चाहते हैं? जब सभी प्राणी समान है, तब फिर ब्राहमं क्यों श्रेष्ठ? क्या मनुवादी प्रविर्ति को थोपना चाहते हैं? कथा वाचकों की इवेंट मैनेजमेंट होता है, करोड़ों की फंडिंग होती है और उसके बाद फिर ढोंगियों की दुकान चल जाती है, जहाँ बहुजन चढ़ावा चढ़ा कर परजीवियों को भरण पोषण करता है।
प्रसिद्ध यादव।
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