जब मत एक नहीं, तब सत्ता साथ क्यों? प्रसिद्ध यादव

 


बिहार की सत्ता में भाजपा जेड्यू साथ साथ है और राजद विपक्ष में है, लेकिन कुछ मुद्दों पर नीतीश सरकार भाजपा के विरोध में है और राजद के सुर में सुर मिलाती है. आखिर इसका मतलब क्या निकाला जाए? जातीय जनगणना की विरोधी नीतीश कुमार नहीं होना चाहते है. अपनी सेकुलर छवि को बरकरार रखना चाहते है या समय आने पर राजद के साथ मिलकर भाजपा से दो दो हाथ करने के लिए तैयार है. भाजपा को जातीय जनगणना करवाने में क्या परेशानी है? परेशानी है. कभी स्वर्णों की वोट कांग्रेस की झोली में जाती थी, लेकिन अब भाजपा की झोली में. भाजपा को डर है कि कहीं जातीय जनगणना करवाने से लेनी की देनी न पड़ जाये. राजद जेड्यू की वोट बैंक पिछडा, दलित है और ये दोनों इनके कोपभाजन नहीं होना चाहते है. जातीय जनगणना से किसी को कोई आपति नही होनी चाहिए. इससे सरकार को नीति और योजना बनाने में मदद मिलेगी, लेकिन असली डर है पोल खुलने की, जिसकी जितनी आबादी, उतनी उसकी भागीदारी. बिहार विधान सभा से जातीय जनगणना करवाने के लिए पूर्व में ही पारित है और इसबार  भाजपा छोड़ सभी दल साथ है. जातीय जनगणना प्रकरण कहीं मोदी की भोज की तरह पुनरावृत्ति हो जाये, तब कोई आश्चर्य नही होगा.

प्रसिद्ध यादव.

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