नाट्य संस्था मंथन कला परिषद द्वारा किया गया "बड़े घर की बेटी" का नाटक
खगौल : आज प्रेमचंद जयंती के अवसर पर उनकी कहानी पर आधारित ‘बड़े घर की बेटी’ का नाट्य रूपांतरण, परिकल्पना व निर्देशन प्रमोद कुमार त्रिपाठी के द्वारा की गई,जिसका मंचन बहुचर्चित नाट्य संस्था मंथन कला परिषद
की ओर से किया गया। नाटक में यह दर्शाया गया है कि अमीर घराने की लड़की आनंदी की शादी एक मध्यवर्गीय परिवार श्रीकंठ के साथ कर दी जाती है और् वह् अपने आप को उसी परिवार में पूरी तरह ढाल लेती है। एक दिन उसका देवर लाल बिहारी दो चिड़िया मार कर लाता है और उसे बनाने के लिए कहता है। आनंदी मांस में पूरा घी डाल देती है। घी खत्म होने के कारण दाल में डालने के लिए नहीं बचता है। इस पर लाल बिहारी नाराज होकर उसे खड़ाऊं से मार कर अपमानित करता है और उसके मायके के बारे में भी भला-बुरा कहता है। आनंदी के पति को घर आने पर दोनों भाइयों के बीच बात बढ़ जाती है। इस पर छोटा भाई लाल बिहारी घर छोड़कर जाने लगता है लेकिन आनंदी अपना अपमान भूलकर अपने घर - परिवार को टूटने से बचा लेती है , इस तरह एक संस्कारी बहू अपनी स्वविवेक से बिगड़ती हुई बात भी बना लेती है।
पात्रों में बेनी माधव सिह् की भूमिका में हौविन्स कुमार- , सोनू कुमार- श्रीकंठ सिंह, रोहन राज- लाल बिहारी , पूजा कुमारी- आनंदी, शिखा कुमारी-सास की शिखाता मे अपने अभिनय से प्रभावित
और श्यामाकांत साह- हारमोनियम गायन, रितु त्रिपाठी- गायन ,अंजली शर्मा सूत्रधार, रजित दास- नाल, दीनानाथ गोस्वामी-खंजरी,रूप सज्जा- जयप्रकाश मिश्रा ,वरिष्ठ रंगकर्मी विजय कुमार सिन्हा, सज्जाद आलम ,प्रशांत कुमार ,अमन कुमार इत्यादि।
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