मोहम्मद रफ़ी तू बहुत याद आये!प्रसिद्ध यादव
हिंदी सिनेमा में रफ़ी द्वारा गाये गीत आज भी कर्ण प्रिय है. इनके अंदर इंसानियत और मानवता कूट कूट कर भरी हुई थी. गीत, भजन, कौव्वली, गजल के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाये. मोहम्मद रफी का जन्म अमृतसर के पास कोटला सुल्तान में 24 दिसंबर 1924 को हुआ था, इसके बाद उनका परिवार 1932 में लाहौर चला गया .रफी ने अपना पहला गाना श्याम सुंदर की फिल्म 'गांव की गोरी' के लिए गाया. इस गाने को उन्होंने जीएम दुरानी के साथ गाया था.
. रफी की गायकी के लिए मोहब्बत को इसी से समझा जा सकता है कि जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ था तब उस समय उनकी पहली पत्नी ने भारत में रुकने से मना कर दिया था. ऐसे में रफी ने यह फैसला किया कि वो अपने पहले प्यार यानी सिंगिंग के खातिर मुंबई में ही रुकेंगे. जिसके बाद वो अपनी पहली पत्नी से अलग हो गए. फिल्म आसपास की गीत तू कहीं आसपास है " आखिरी गीत थी. शायद अपने चाहने वाले को यह संदेश देकर 31 जुलाई 1980 को जब रफी साहब इस दुनिया को अलविदा कह गए. मौत के बाद किशोर कुमार रफी के पैरों के पास ही बैठ कर घंटों तक बच्चों की तरह रोते रहे.
मोहम्मद रफी का दिल काफी बड़ा था. एक बार उन्होंने अपनी कॉलोनी में एक विधवा को पैसे ना होने के कारण जूझते हुए देखा. उसके बाद से ही रफी ने पोस्ट ऑफिस के जरिए एक अनजान व्यक्ति के नाम से हर महीने उस विधवा को पैसे भेजना शुरू कर दिए.
मोहम्मद रफी को संगीत से बेहद प्यार था और वो इसे पैसों के तराजू में कभी नहीं तौलते थे. ऐसे में जब उस दौर में लता मंगेशकर सहित कई सिंगर्स ने अपने पैसे बढ़ाने की मांग करना शुरू कर दी तो रफी इस कदर नाराज हो गए कि उन्होंने लता मंगेशकर के साथ कभी ना गाने का फैसला कर लिया.
प्रसिद्ध यादव
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