मेरी पहली हवाई यात्रा। प्रसिद्ध यादव


  28 एवम 29 अगस्त 2021।



शादी की लड्डू की तरह जो खाये वो भी पछताये, जो न खाए वो भी पछताये।जीवन में कई बार ऑफर मिला, लेकिन मैं हवाई यात्रा करने से बचते रहे। कोई साहसी ही इस पर सवार हो सकता है, लेकिन जब जल्दी जाने की जरूरत हो तब जान हथेली पर लेकर जाना ही पड़ता है। मानो रणभूमि में जा रहे हैं। पटना से बंगलोर के लिए रात को 9.15 में उड़ान भरे, दुर्भग्यवश सीट खिड़की के पास।जब जमीन से आसमान की ओर जाने लगे और नीचे झांकर देखा तो लगा कि केवल .. ढाई घंटे की सफर लगा कोई पिछले जन्म के सजा भुगत रहे हैं।रात को 11.30 में बंगलोर में लैंड किया, भगवान को शुक्रिया किया, लेकिन सुबह 7.15 पर यहाँ से चेन्नई जाना था, लगा ग्रह अभी टला नही है। सुबह हो गया था। यहां भी खिड़की मेरा पीछा नहीं छोड़ा। बादलों के चीरते हुए ऊपर से सफर करना बहुत ही सुखद अनुभूति हो रही थी, लेकिन कलेजा कांप जाता। एयर होस्टेस को बुलाकर पानी मांगकर अपने सूखे गले को तर करता फिर टॉयलेट का सहारा लिया। जब चेन्नई समुद्र के ऊपर प्लेन को देखा और इसकी झटके महसूस किया तब लगा की शायद अब  कुछ गड़बड़ी हुई।चेन्नई लैंड किया मोदी जी की तरह संसद को  नही उस धरती को चूमा और भगवान न करे ये दिन किसी को न दिखाए।एक अनुभव हुआ की नेता और बड़े बड़े लोग असमय चले जाते हैं, शायद हवाई यात्रा की अधिक से अधिक करने से हार्ट बीट बढ़ती होगी।यह सत्य नही होकर मेरा भृम भी हो सकता है।

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