अपात्र और अवैध लायसेंसधारी बनते हैं रेलवे में संवेदक प्रसिद्ध यादव!
जब से रेलवे में निजीकरण बढ़ी है तब से अधिकारियों की मनमानी बढ़ गयी है। रेलवे के नियमों को अनदेखा कर अधिकारी अपने चहेते को कोई न कोई तिकड़म लगाकर टेंडर देने में सफल हो जाते हैं और इसके एवज में अधिकारियों को मुंहमांगी कीमत मिल जाती है। चाहे मामला निजी वाहन की हो या टेंडर की। पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के विभिन्न मंडलों में निर्धारित मापदंडों, सेवा शर्तों के साथ खिलवाड़ धोखाधड़ी कर विगत कई वर्षों से
लगातार कार्य हो रहा है।
लाइसेंस संख्या 3314 जय माता दी की तकनीकी योग्यता क्षमता 250 v है, जिसकी पुष्टि बिहार सरकार विधुत निरीक्षण के सूचना के अधिकार द्वारा पत्रांक 486 दिनांक 10/ 04/ 2015 का अनुलग्नक में स्पष्ट उल्लेख है कि 132 kv/ 25 kv का कार्य हाई वोल्टेज की श्रेणी में आता है और लाइसेंस संख्या 3314 का निर्गत होने की तिथि 2014 से अबतक जांच कराकर विभाग द्वारा प्राप्त अनुभव प्रमाण पत्र को निरस्त करने की कृपा की जाए , हुई है।
क्योंकि लाइसेंस संख्या 3314 के एजेंसी द्वारा अभी हाल ही में वरीय मंडल विधुत अभियंता T R D के माध्यम से , लेकिन रेल अधिकारियों के मिलीभगत से टेंडर 132 kv/25 kv निविदा में भाग लेकर अपने हक में करवाकर कार्य किया गया है।अभी दानापुर मंडल में Bid no Gem 2021/B/12990114 दिनांक 28/6/2021 में लायसेंस संख्या 3314 के एजेंसी द्वारा उक्त अनियमित लायसेंस द्वारा कराये कार्य में क्रेडिएसन का ही उपयोग में लाकर निविदा में सम्मिलित कार्य लेने का प्रयास किया जा रहा है। सोनपुर मंडल में इसी लायसेंस से तीन कार्य हो चुके हैं। अब सवाल है की क्या अयोग्य संवेदक रेल की आंखों में धूल झोंक रहा है। बिल्कुल नहीं।रेल में ऐसे कागजातों को देखने परखने वाले की कमी नही है, बल्कि रेल अधिकारियों की मिलीभगत से रेलवे को दीमक की तरह चाट रहे हैं। ऐसे कार्यों को देखने के लिये विजिलेंस से लेकर एकाउंट्स और वरीय अभियंता कार्यरत हैं, लेकिन पैसा बोलता है के तर्ज पर सब सही हो जाता है। सरकारी संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति समझने की नसीहत दी जाती है। क्या यह स्लोगन आमजन के लिए है, बाकी जिम्मेवार अधिकारी पैसा बनाये?
प्रसिद्ध यादव
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