मानव से छूत और पत्थरों से प्यार! प्रसिद्ध यादव।

        



    अपने आप को सभ्य ,बुद्धिजीवी, हिन्दू धर्म के ठेकेदार को आंखें खुल जानी चाहिए। स्कूल, विद्या को महत्व नहीं देने वाले, मन्दिरों के चौखट पर सर पटकने से क्या मिलेगा? बल्कि ऐसा कर के खुद रसातल में जा रहे हो और आनेवाले पीढ़ियों को भी धकेल रहे हो। मन्दिरों में भजन कीर्तन के नाम पर गांजा , भांग, चरस चल रहा है, कुछ जमात बनाकर अपनी मनमर्जी थोप रहा है। ऐसे ढोंगियों को विरोध करें। कर्नाटक के कोप्पल गांव में एक दलित बालक के मंदिर में घुसने के बाद उसके परिवार पर 35 हजार रुपए जुर्माना लगाने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोप्पल के मियापुरा गांव में रहने वाले एक दलित परिवार का 4 वर्षीय बच्चा अपने जन्मदिन पर मंदिर चला गया था। इस मंदिर में दलितों के प्रवेश पर पाबंदी लगाई हुई है तथा बालक के परिजन मंदिर के बाहर से ही दर्शन करते हैं। इस बात से नाराज गांव की उच्च जाति के लोगों ने बालक के पिता से 25 हजार रुपए जुर्माना तथा दस हजार रुपए मंदिर की सफाई के लिए मांगे।

बताया जा रहा है कि बच्चे के मंदिर में प्रवेश करने पर उच्च जाति के लोगों ने मंदिर को अपवित्र माना और 11 सितंबर को एक बैठक कर दलित परिवार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। इसके साथ ही परिवार से दस हजार रुपए मंदिर की सफाई के लिए भी मांगे गए।

घटना का पता लगने पर स्थानीय प्रशासन ने अफसरों को गांव में भेजा। वहां भेजे गए अफसरों ने तथाकथित उच्च जाति के लोगों को फटकार लगाई और भविष्य में ऐसा करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। इस पूरे मामले पर बोलते हुए तहसीलदार ने कहा कि गांव के बुजुर्गों ने इस मुद्दे पर माफी मांगी है और बताया कि गलतफहमी के चलते ऐसा हुआ है। भविष्य में ऐसा नहीं होगा। घटना के बाद कोप्पल के एसपी ने भी गांव का दौरा किया है।


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