पंचायती राज की ताकत को समझें।प्रसिद्ध यादव

 

         कुछ जुआ की तरह दांव लगाकर भाग्य आजमाएंगे और चुनाव बाद लापतागंज। ऐसे को कान पकड़के खींचिये।सवाल पुछिये।सरेराह बेइज्जत कीजिए तब नाश टूटेगा  सेवक बनने का। सेवक का मतलब गधे लोग मालिक समझते हैं और यही भावना से चुनाव लड़ते हैं।



 
संविधान के 73 वें संशोधन में इसकी शक्ति दी गयी है और सत्ता का विकेंद्रीकरण किया गया। पहले गांवों का विकास ऊपर से नीचे की ओर होता था, लेकिन अब पंचायत के प्रतिनिधि और जनता ग्रामसभा की बैठक कर योजना बना सकते हैं और कार्यन्वित कर सकते हैं, लेकिन अफसोस की सही प्रतिनिधि के चुनाव नहीं होने के कारण विकास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है और पंचायत के लोग नींद में सोए हुए रहते हैं। नीद कब टूटती है जब चुनाव आता है अपनी किस्मत आजमाने लगता है। जनता पेशोपेश में पड़ जाती है किसे चुने और किसे नहीं। नतीजा भ्रष्ट लोग इसका फायदा लेकर चुनाव जीत जाते हैं। चुनाव लड़ने वाले अधिकांश प्रत्याशी को पंचायती राज के अधिकार, कार्य के बारे में मालूम भी नही होगा ना ही कभी प्रखंड मुख्यालय का दर्शन भी किया होगा, लेकिन जीत की सेहरा बांधने के लिए बेताब होंगे।
मुखिया के जिम्मे होंगे कई नए कार्य

पंचायती राज विभाग के अनुसार इस बार चुनाव जीतने वाले मुखिया को अब अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम चार बैठकें आयोजित करनी होंगी। बैठक के अलावा इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्य योजना बनाने के साथ-साथ प्रस्तावों को लागू करने की जवाबदेही भी होगी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स, चंदे और अन्य शुल्क की वसूली के इंतजाम करना भी इनके जिम्मे होगा। 


सरपंचों को दिए गए हैं बड़े अधिकार


सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में तीन बड़े अधिकार दिए गए हैं। इसमें ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने और उनकी अध्यक्षता करने के साथ ही अब ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां भी इनके पास रहेंगी। इनके जिम्मे जो मुख्य कार्य होंगे उनमें गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा दाह संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करना होगा। यानी कुल मिला कर नए अनुभव और नई कार्यपद्धति से मुखिया और सरपंच को गुजरना पड़ेगा।एक सशक्त पंचायत बनाने के लिए सशक्त प्रत्याशी को चुनें जिसे अच्छा बुरा का ज्ञान हो, समाजसेवी हो, चरित्रवान, शिक्षित और विनम्र स्वभाव का हो। उदंड, शराबी, अपराधी को कभी न चुनें अन्यथा पंचायती राज पॉकेट राज बनकर रह जायेगा।

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