जीत के लिए बेचैनी के दर्द को समझें। प्रसिद्ध यादव।

    मैनपुर अंदा पंचायत के धर्मपुर में विद्यालय के लिए निजी जमीन स्व राजाराम चौहान से सरकार को साथियों के साथ मिलकर दान करवाया था, जहाँ आज स्कूल है बूथ no 15 और अ है। महम्मदपुर में कब्जे मुक्त करवाकर हरिजन टोली में सामुदायिक भवन बनवाया था बूथ no 12 , 13, 14 है। पकौली बूथ no 8 , 9 , 10 बदलवा कर अंदा किया। अफसोस कि जमीन के दान कर्ता को हत्या करवा दी गई।बहुत संघर्ष के साथियों को हमने खोया है। रामपुर फरीदपुर के टिलहवाँ गाँव के अनिरुद्ध यादव साथ पढ़ते थे हत्या कर दी गई थी।दिलों में अनगिनत जख्मों के निशान हैं, गरीबी की परत पड़ने पर धूमिल जरूर हुआ है, लेकिन हमारे संघर्ष अभी लोगों के दिलों में कायम है। छोटन चौहान, विशेश्वर रजक आज भी गवाह हैं।


आज चारो तरफ प्रत्याशियों की भीड़ हैं। नये नये स्लोगन, गीत, पोस्टर से इंटरनेट से लेकर दीवारों तक पट गया है।ये सारे अथक प्रयास जनप्रतिनिधि बनने के लिए है। स्वस्थ लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव हो तब मजबूत लोकतंत्र होता है। चकाचौंध में सही प्रत्याशी के गुण ओझल होने लगते हैं और धन बल, जाति, धर्म, परिवार हावी होने लगता है। अगर वास्तव मे सेवक होना चाहते हैं तब बहुत ज्यादा किसी की चाकरी या गणेश परिक्रमा करने की जरूरत नहीं है, लेकिन यहां मूल भाव कोई प्रकट करना नही चाहता है। पर्दे के पीछे एक ही मक़सद है, पावर और पैसा पाना, समाजसेवा गौण हो जाता है।सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए किसी को कुछ भी बेबुनियाद कीचड़ उछालने से नही डरते हैं। आज किसी को भ्रष्ट बता देना आसान है, लेकिन भ्रस्टाचार क्या हुआ? इसके निवारण के लिए आमजन के लिए क्या कदम उठाए गए, तब सांप सूंघ जाएगा। इंदिरा आवास, मनरेगा योजना में प्रतिनिधियों पर अनेक सवाल उठते हैं, लेकिन ख़िलाफ़ में एक भी गवाह नही मिलता है कि कोई कार्यवाही हो। आज भी कहीं न कहीं दबुपन है, जो कहीं न कहीं भ्रष्ट लोगों को ताक़त दे रही है। गलत को गलत और सही को सही कहने की शक्ति क्षीण हो गई है। जो खुद अज्ञान  के अंधेरे में जी रहा है, वो समाज को रौशनी दिखाने का स्वांग रच रहा है, जो खुद भटके हुए हैं, वो दूसरों को राह क्या दिखाएंगे? न जिसके अंदर प्रतिज्ञा है, न संघर्ष है, न वचन, न वादा,वैसे पर भरोसा करना अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारना है। कौन जीतेगा, कौन हारेगा? इसकी चिंता छोड़ अच्छे लोगों को चयन करें, परिणाम सुखद और फलदायी होगा।

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