महंगाई नहीं आपदा है। सारी खोलकर नाचने वाली कहाँ लापता है।प्रसिद्ध यादव।
दिल्ली में महंगाई पर खूब होती थी लहंगा डांस।अब महंगाई से हुआ रोमांस।
महंगाई पर छाती पीटकर सत्ता में आनेवाली सरकार को अब बढ़ती कीमत अब दिखाई नहीं दे रही है।रोजी रोजगार की हालत खस्ता है। बढ़ती डीजल , पेट्रोल, गैस सिलेंडर , खाद्य पदार्थों से आमजन को कितना मुश्किल हो गया है, वो निम्न और मध्य वर्गीय परिवार जानते हैं। तन पर कपड़े पहने की, बच्चों को स्कूल भेजे,दाल रोटी खाये की बीमारी से इलाज में अस्पतालों की मोटी फीस दे। जब चारो तरफ से दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब श्रीधाम सिधार जाते हैं, लेकिन इसके पहले कोई आवाज भी उठाना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं।राजनीति दल जरूर शोर मचा रहे हैं, लेकिन इसे राजनीति रंग देकर दबा दिया जा रहा है। भूख से और घुटघुट के मरने से अच्छा है अपने अधिकार के लिए लड़ते हुए मर जाये। महंगाई पर आठ आठ आंसू बहाने वाले अन्ना हजारे, रामदेव को कहीं अतापता नही है।
देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें जहां लगातार उच्च स्तर पर बनी हुईं है. वहीं मार्च में थोक महंगाई पिछले 8 साल की ऊंचाई पर पहुंच गई है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने गुरुवार को मार्च के थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित इन्फ्लेशन रेट के आंकड़े जारी किए हैं. जानिए कितनी रही मुद्रास्फीति दर...
इससे पहले 2013 में थी इतनी महंगाई
मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से मार्च 2021 में देश की थोक महंगाई दर 8 साल के उच्च स्तर पर 7.39% रही है. इससे पहले मार्च 2013 में देश में थोक महंगाई दर 8.6% थी.
मार्च में 1.57 % बढ़ी महंगाई
अगर मार्च के आंकड़ों की तुलना मार्च 2020 से की जाए तो थोक महंगाई दर में बीते साल के मुकाबले 1.57% की वृद्धि हुई है. जबकि फरवरी 2021 में 4.17% थी जो बीते 27 महीनों का उच्च स्तर था. जबकि जनवरी 2021 में देश की थोक मुद्रास्फीति दर 2.51% रही. इस तरह देखा जाए तो बीते तीन माह में थोक महंगाई दर में तेज वृद्धि दर्ज की गई है.
पेट्रोल-डीजल ने सबसे ज्यादा रुलाया
मार्च में प्राइमरी गुूड्स यानी खाद्य श्रेणी में महंगाई दर फरवरी की तुलना में मात्र 0.55% की महंगाई दर्ज की गई है. जबकि कच्चे तेल में यह दर 8.64% रही है. वहीं प्राकृतिक गैस और गैर-खाद्य वस्तु श्रेणी में ये 1.9% और 0.35% रही है.
महंगाई को नियंत्रण के लिए सरकार कोई अविलम्ब कदम उठाए।
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