किसानों के आगे झुकी सरकार।प्रसिद्ध यादव।
केंद्र सरकार कृषि बिल वापस लेकर डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। एक साल से अधिक किसान इस बिल के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे, सरकार सुन नही रही थी।अबतक कफीब 700 किसान अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं, लेकिन अन्तोगत्वा किसानों की जीत हुई।यह आंदोलन यह साबित किया कि लाख बहुमत की सरकार हो, लेकिन जनता चाह ले तो सरकार को झुकनी पड़ेगी।जनता से बड़ा न कोई। बीजेपी को 2019 में चुनाव जीतने के बाद पहली बार इस तरह के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा और उसे अपने क़दम पीछे खींचने पड़े हैं. किसान संगठनों और सरकार के बीच कई चरणों की बात हुई थी लेकिन सरकार क़ानून वापस लेने को तैयार नहीं थी.
कई विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी सरकार का यह राजनीतिक क़दम है क्योंकि उसे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किसानों की नाराज़गी से चुनावी नुक़सान की आशंका थी. ऐसे में चुनाव से पहले यह क़दम उठाया गया है.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने पर तंज़ करते हुए पीएम मोदी को निशाने पर लिया है. ओवैसी एक शेर में लिखा है, दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे-कैसे, कलाम आते हैं दरमियाँ कैसे-कैसे, ज़मीन-ए-चमन गुल खिलाती है क्या-क्या, बदलता है रंग आसमाँ कैसे-कैसे.''।यह कृषि बिल को वापस होना भारतीय इतिहास में एक मील के पत्थर साबित हुआ।
Comments
Post a Comment