साहित्यकार भारत यायावर को सूत्रधार ने याद किया- प्रसिद्ध यादव।
नाटकों पर एक नज़र।
सूत्रधार कालिदास रंगालय के शकुंतला प्रेक्षागृह में तीन दिवसीय नाटक मंचन किया इसमें साहित्यकार मन्नु भंडारी, भारत यायावर और नाटककार तरुण मुखर्जी को समर्पित कार्यक्रम था। तीनों मूर्धन्यों को अतिथियों ने तैल चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित किये थे। सूत्रधार साहित्यकार, समाजसेवी को भी याद करती है।इसके लिये पूरे टीम और विशेषकर नवाब आलम, निदेशक नीरज कुमार धन्यवाद के पात्र हैं, जो अपने धरोहरों, विरासतों को जेहन में बसाये हुए हैं। नाटक मंडली के टीम प्रांगण पटना के "अतीत के वातायन " लेखक अरुण सिन्हा, निदेशक अभय सिन्हा , मंडल सांस्कृतिक संघ, पूर्व मध्य रेल ,दानापुर की " ढक निया पोखर " के लेखक नरेन निदेशक अरुण सिंह पिंटू एकजुट खगोल की नाटक " पागल " निदेशक अमन कुमार , सूत्रधार खगोल की प्रस्तुति नाटक " अनाथ " लेखक रविन्द्र नाथ टैगोर निदेशक नीरज कुमार के नाटको के सफल मंचन किया गया। इस अवसर पर अनेक विद्वानों ,साहित्यकारों, राजनीतिज्ञों का आगमन हुआ, दर्शन हुए और उनके विचारों को सुनकर दर्शक बहुत कुछ समझा। ऐसे तो सभी नाटकों के प्रदर्शन अच्छे रहे, लेकिन मेरी नज़र में नाटक " अतीत के वातायन " दिलों पर अमिट छाप छोड़ दिया।
अब बात करें भारत यायावर की।झारखंड में हजारीबाग के रहने वाले यायावर के कविता संग्रह ‘झेलते हुए’ और ‘मैं यहां हूं’ बहुत चर्चित रहे। उन्हें ‘नागार्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
29 नवंबर, 1954 को जन्में भारत यायावर विनोवा भावे विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक भी रहे हैं। उन्होंने कई कविता-संग्रह लिखे। एक ही परिवेश (1979), झेलते हुए (1980) मैं हूं, यहां हूं (1983), बेचैनी (1990) एवं हाल-बेहाल (2004) कविता-संग्रह शामिल हैं। यायावर ने महावीर प्रसाद द्विवेदी रचनावली का संपादन भी किया है।
यायावर को दिल्ली, भोपाल, इंदौर, उज्जैन, इलाहाबाद, लखनऊ समेत कई शहरों के लेखकों और पाठकों ने याद किया और श्रद्धाजंलि अर्पित की।
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