जनता के मान सम्मान करें। प्रतिशोध अहंकार का करें त्याग- प्रसिद्ध यादव।
चुनाव में पराजित होने और जीतने वाले दोनों जनता को खयाल रखें। पराजित होने वाले धन लुटाने की खीज जनता पर उतार रहे हैं, जैसे मानो लगता है कि अब जनता से भविष्य में काम नहीं है। जीतने वाले जीत का सेहरा अपने पैसों को दे रहे हैं और बेशर्म की तरह कटु वचन बोलकर जनता से दूरी बना रहे हैं। इतना जल्दी गिरगिट भी रंग नही बदलती है। जनता भी कम नही है वोट बेचने की दुकान लगा रखी थी। इन झंझावातों के बीच हर जगह समाजसेवी और राजनीतिज्ञ होते हैं, जो किसी के एहसानमन्द नहीं होते हैं और अन्तोगत्वा जनता की रक्षा यही करते हैं। अगर जीतने के बाद समझता है कि तीसमारखाँ बन गए हैं तब यह सोच पागलपन से ज्यादा कुछ नही है।ऐसे लोगों पर सख़्त नजर रखने की जरूरत है और नकेल कसने की भी। कुछ अंधे समर्थक समझते हैं कि जनप्रतिनिधि को रबर स्टाम्प बनाकर मनमर्जी से काम करवायें, जो असम्भव है।चुनाव लड़ने वाले या जीतने वाले इतने बुद्धू नही है की किसी के पॉकेट मनी बनकर रह जाये। ये सारी विकृतियां अशिक्षा के कारण है। शिक्षित और सभ्य समाज किसी के चाकरी और दरबारी न कर के स्वाभिमान से रहते हैं और इनसे लोगों को सीख लेनी चाहिए।
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