किसानों की तपस्या बलिदान सरकार की चूल हिला दी- प्रसिद्ध यादव
किसानों की संघर्ष, आंदोलन, बलिदान और तपस्या को पीएम अपनी तपस्या में कमी बता रहे हैं।किसानों के राहों में कील कांटे बिछाने वाली सरकार, सड़को पर कुचलने वाले कि कैसी तपस्या थी,हास्यास्पद से ज्यादा कुछ नही है। पवित्र हृदय से क्षमा याचना कर रहे हैं, लेकिन सैंकड़ों किसानों के बलिदान पर संवेदना का एक शब्द नही निकलना निष्ठुरता की पराकाष्ठा है। अगर यूपी , उत्तराखंड, पंजाब में चुनाव नही होने वाली होती तो यह सरकार बिल वापसी की घोषणा कभी नहीं करती।किसानों के आंदोलन से सरकार पूरी तरह से डर गई थी।. एक साल से अधिक समय से टिकरी सिंधु बॉर पर चल रहे किसान आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून बिल को वापस लेने का ऐलान किया है। पंजाव व यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी के फैसले को अलग-अलग नजरिए से देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने तीनों बिल को वापस लेने का ऐलान किया है। बिल वापस होने से भले ही किसान खुश नजर आ रहे हों लेकिन किसान आंदोलन में बड़ा नुकसान हुआ है। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार किसान आंदोलन के दौरान 605 से अधिक किसानों की मृत्यु हुई है। सरकारी आंकड़ा इसके अलग हो सकता है। किसान आंदोलन में सबसे पहले 65 वर्षीय कहन सिंह की मृत्यु हुई वहीं 605वीं मौत सुरजीत की हुई। किसान आंदोलन के दौरान हिंसा के साथ साथ कई किसानों को हार्टअटैक व बीमारी से भी मौत हुई।
संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा मौत पंजाब के किसानों की हुई। आने वाले दिनों में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं इससे पहले नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून बिल को वापस लेने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि “आज मैं पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का फैसला लिया है इस महीने के अंत में शुरू हो रहे सत्र में तीनों कानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी"
उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के चलते लखीमपुर जैसा बड़ा कांड हुआ, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से चार किसान थे। 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई इस घटना के दौरान बहराइच के 2 किसानों सही 4 किसानों की मौत हो गई। आरोप है कि केंद्रीय मंत्री के बेटे की गाड़ी के नीचे आने से किसानों की मृत्यु हुई।
किसान आंदोलन नवंबर 2020 में शुरू हुआ था 26 नवंबर 2020 में पंजाब हरियाणा बॉर्डर से किसानों ने दिल्ली में घुसने का प्रयास किया था जिसके बाद सरकार ने बैरिकेडिंग लगाकर किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया था. तब से बॉर्डर पर किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। एक साल से लगातार किसान प्रदर्शन कर रहे थे इस दौरान किसानों व सुरक्षा बलों के बीच में झड़प भी हुई जिसमें संपत्ति का नुकसान व किसानों की जानें गईं।
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