राजनीति से सीख! राजनेताओं को भी सिखायें सबक - प्रसिद्ध यादव

  


हर चुनाव एक सबक और सीख होती है। ऐसे अच्छे लोगों को राजनीति से सन्यास लेना ज्यादा अक्लमंदी है। अब राजनीति करना साख पर बट्टा लगना है और बिना पैसों की राजनीति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। स्थानीय राजनीति से आपसी मतभेद बढ़ते जाते हैं। हर सीट पर जीत एक कि होती है और दावेदार औसतन 8 लोग होते हैं। 7 लोगों की पराजय निश्चित है।सभी प्रत्याशी जान पहचान के, रिश्तेदार, मित्र, शुभचिंतक होते हैं। ऐसे में एक पद के 7 लोगों से बैर भाव हो जाता है अगर 5 ही पदों को लें तब एक चुनाव में 35 लोग खफा हो जाते हैं। अगर पंचायत के 5 चुनाव में किसी की सक्रियता रही हो तब  करीब 175 लोग न केवल खिलाफ हो जायेंगे, बल्कि आपकी राजनीति डेथ हो जाती है, क्योंकि लोग इतने परिपक्व नही हैं कि इसे खेल समझे। बाकी आपकी ऊर्जा स्थानीय विधायक और सांसद खत्म कर देंगे।मेरा मानना है कि साधारण लोगों को राजनीति से अलविदा कर अपने परिवार के भविष्य पर ध्यान देना चाहिए।  आपकी एहसान और मदद को कोई याद करने वाले नहीं है। लोग बिल्कुल प्रोफेशनल हो गए हैं तब आप भी प्रोफेसनल बन जाएं। जितना लोग आपको याद करते हैं, चाहते हैं, उतना ही हिसाब किताब आप भी रखें, चाहे वो कितने भी बड़ी हस्ती वाले क्यों न हो? ज्यादा मान सम्मान किसी को देना आपकी कमजोरी समझ लेते हैं। जहां कोई भविष्य ही नहीं, वहां अवसर तलाशने से क्या फायदा?

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