हमरे वोट के भीख मांग के ( मगही कविता )- प्रसिद्ध यादव।
हमरे वोट के भीख मांग के
बनल हे मालामाल रे !
हम मरी बिन खायला बिना
तू मचाये धमाल रे !
हमरे वोट के भीख मांग के
पहने तू लाखों के शूट बूट
हमर बदन उघार रे !
हमरे वोट के ...
हम रहीं खुले आकाश में
तोहरा ला महल अटारी रे !
तोहर बेटा बेटी पढोउ विदेश में
हमर रहे अनपढ़ गंवार रे !
करे इंसानों से भेदभाव
बने हे बड़का ज्ञानी रे !
ऊंच नीच के भेद करा के
न मान हई संविधान रे !
तोर आदर्श हौ
ढोंगी , भोगी
झूठन के सरदार रे!
हमर आदर्श बुद्ध,अम्बेडकर,ज्योति बा
पेरियार , सावित्री बाई रे !
हम ऊपजै माटी से सोना
तू बताइबे दाम रे !
मंत्री के बिगड़ैल बेटा
छाती पर चढाईतो कार रे !
हमरे वोट के ..
हाथरस, उन्नाव के बेटियन के साथ
कैसे होलाई दुराचार रे!
चुल्लू भर पानी में डूब मर
ढ़ोंगीयन के सरकार रे !
हमरे वोट के ..
गाड़ी पलटलो दुबे जी के
सेंगर का हौ यार रे !
हमरे वोट के..
अब समझ जनता की ताक़त
करतौ अपन करामात रे!
बीच सड़क पर करतौ बेइज्जत
करिहैं बाप रे !बाप रे !
बहुत होलौ धर्म के खेला
अब देख बहुजन के रेला
न ऊपर जइबे न नीचे
बीच में होतो ठेलमठेल रे!
हमरे वोट के भीख मांग के
बनल हे मालामाल रे !
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