गलती करने का एहसास होने चाहिए!/प्रसिद्ध यादव।
हर आदमी से जीवन में कोई न कोई गलती हो जाती है, लेकिन सज्जन पुरुष को इसका सहज एहसास हो जाता है और वो माफी माँगकर सुधार कर लेते हैं, लेकिन दुर्जनों का यह जन्मसिद्ध अधिकार हो जाता है। गलत काम का परिणाम गलत ही होता है, लेकिन इसके लिए दोष किसी और पर मढ़ता है।आज सत्ता और धनार्जन के जो तरीक़े अपनाये जा रहे हैं इसमें अनैतिकता और गैर कानूनी रूप भी सही दिखने लगता है।हम देशभक्त होने की बात करते हैं, सज्जन,साधु संत होने का स्वांग रचते रहते हैं। क्या कभी सोचा है कि भ्रष्ट तरीके से या गैर कानूनी तरीके से कमाया हुआ धन भी देशद्रोह और दुष्ट बना देगा? कभी हाड़तोड़ कमाने वाले, मजदूरों, किसानों, सीमा पर तैनात माईनस डिग्री और 50 डिग्री तापमान पर पहरेदारी करने वाले जवानों के बारे में सोचना तब शायद गलत सही की समझ आ जाये। एक हीं गलती को बार-बार दोहराने वाले लोग क्षमतावान होने के बावजूद खुद अपने पीछे रहने का कारण बनते हैं.
अगर आप सचमुच किसी की भलाई चाहते हैं, तो किसी की भी गलती अकेले में बताइए. ना कि सबके सामने.
जिंदगी में ऐसा शख्स जल्दी नहीं मिलता है, जो आपके गलत होने पर आपकी गलती की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करे. क्योंकि ज्यादातर लोग सबके साथ मीठे बने रहना चाहते हैं.
जो शख्स हर दिन हर पल अपनी गलती खुद देख पाता है और उसे सुधार पाता है, वह सचमुच में उन्नति का हकदार है.
पहली गलती पर हर किसी को माफ़ी मिलनी हीं चाहिए.
भूतकाल की बड़ी गलतियाँ जल्दी पीछा नहीं छोड़ती हैं. इसलिए ऐसी गलतियों को करने से बचना चाहिए और गलतियों का एहसास होना चाहिए।
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