हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा -बाजपेयी।


 

      
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा' पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यह मशहूर कविता आज भी लोगों की जुबान पर रहती है। बहुत ही ताकत मिलती है इन कविताओं से। कवि अपने जीवन के अनुभव और कट्टू सत्य को रखे हैं। इतिहास साक्षी है कि रार ठानने वाले कितने लोग मिट्टी में मिल गए और कभी हार नहीं मानने वाले को कोई पराजित नहीं किया है।रार ठानने वाले औंधे मुंह गिरते हैं और कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रहते।जब मन में उलझन, दुविधा हो तो एकाग्रता सोचे कि कुकृत्यों का फलाफल क्या होगा ? शून्य।

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