शिक्षा में सरकार की दृष्टि जीरो बट्टा जीरो -दीपक मांझी।/
प्रसिद्ध यादव।
शिक्षा देश की रीढ़ है। फुलवारी पश्चिमी के जिला पार्षद दीपक मांझी,गोनपुरा पंचायत के मुखिया सुधीर शर्मा प्रमोद,प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी गोनपुरा बुनियादी स्कूल के निरीक्षण करने जब स्कूल में गये तब हेडमास्टर अर्जुन कुमार कुर्सी पर बैठे बच्चों के किताब रखे बेंच पर पैर में चप्पल पहने झुलासन मुद्रा में बैठे थे, एक और टीचर कुर्सी पर बैठे पाया में पैर अटकाये, पयासन मुद्रा में बैठे थे। जनप्रतिनिधियों के आगमन के बाद भी ये आसन नही छोड़ रहे थे। यह वही गोनपुरा है जहाँ के दलित प्रेम मांझी को अमेरिका में पढ़ने के लिए 2.5 करोड़ स्कॉलरशिप मिला।क्या ऐसे विद्यालय में पढ़कर मिलता?जी नही ये बच्चा दलितों के उत्थान के लिए उडान टोला, दानापुर में मंथन में पढ़ा था। दीपक मांझी लगातार फुलवारी के विद्यालयों में निरीक्षण कर रहे हैं।गोनपुरा के टीचर से जब दीपक बात किये तो बताया कि हेडमास्टर महिला टीचर से बोलते हैं कि महीना में कितने दिन मासिक आता है, टीचर्स के साथ व अभिभावकों के साथ अच्छा वर्ताव नही करते हैं।जनप्रतिनिधियों ने विद्यालय में अनेक कुव्यवस्था देखे,जिसकी शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी को करने को कहा ताकि व्यवस्था में सुधार हो।सरकार शिक्षा के प्रति उदासीन है न विद्यालय में पूरा शिक्षक है न ठीक से पढ़ाई होती है।कोई देखने वाला नही है।पैसों वाले के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं लेकिन गरीबी के बच्चे की आस सरकारी स्कूल है जो बुरा हाल में है।
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