महिलाओं के मध्य छिपी है।-कवि नागार्जुन।
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आज फूलन देवी18वीं शहादत दिवस पर शत शत नमन।
सौ-सौ डाके डाले उसने
एक-एक की नाक तराशी
एक-एक की कुतर गई है कान
दसियों की तो आंखे फोड़ीं
बदल-बदलकर घोड़े उड़ती
जिला बदलती ही रहती
फूलन देवी दुर्गामाता की बेटी है
कौन सामना कर सकता है !
दाएं-बांए बीसों को ठंडा करती है
कारतूसों की मालाओं से हमने उसको पहचाना था
मैनपुरी के एक गांव में
ठाकुर के घर डटी हुई थी फूलन देवी
लगता था, हां, सिंहवाहिनी
प्रकट हुई है
मैनपुरी के एक गांव में !"
(नागार्जुन की कविता 'फूलन देवी')
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