मृत्यु शैय्या से मुक्तिधाम तक टैक्स !प्रसिद्ध यादव।
देश में अभी अमृत काल महोत्सव चल रहा है, जो काम आजादी के बाद नहीं हुआ अब वो हो रहा है। जीवन की परमावश्यक बस्तुओं खाद्य पदार्थों, पेय पदार्थों से लेकर अस्पताल शमशान घाट तक जीएसटी के दायरे में आ गया। डीजल ,पेट्रोल, एलपीजी गैस की महंगाई से लोग समझौता कर लिया है।अब देश हित में जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी सरकार को टैक्स देना है। सरकार के 8 वर्षों के कार्यकाल में रुपये डॉलर के मुकाबले काफी नीचे गिर गया, रोजगार के अवसर कम गया लेकिन इससे न सरकार की सेहत पर कोई असर पड़ी,न लोकप्रियता में कमी आई।इसका मतलब है कि पूर्ण बहुमत की सरकार को अभी और जनविरोधी नीतियों को लागू करने की इजाजत है।मेंअब तक जो प्रोडक्ट GST के दायरे में नहीं थे, इस बार उन तमाम खाद्य पदार्थों पर भी 5% का जीएसटी लगाया गया है. जो आम आदमी की जेब पर सीधा असर डालेगा. इसके साथ एक आम इंसान की किचन का बजट भी बिगड़ने वाला है. दूध ,दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं, मुरमुरे पर अब 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.
कमला नगर में रहने वाली मधु गोयल का हर महीने किचन के लिए 5 हजार रुपये का बजट बनाती थीं. लेकिन जीएसटी की नई दरें लागू होने के बाद से अब उनका बजट 5 हजार से बढ़कर सीधा 7 हजार रुपये पहुंच जाएगा. शक्ति नगर में रहने वाले संजीव गोयल ने केंद्र सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि पहली बार खाद्य पदार्थों पर जो जीएसटी लगाई है, उसे तुरंत वापस लेना चाहिए. क्योंकि महंगाई (Inflation) के उच्च स्तर के कारण आम आदमी की कमर पहले से ही टूटी हुई है.
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