बामसेफ के प्रचारक से एक मुलाकात!/प्रसिद्ध यादव।

 



आज बामसेफ के राष्ट्रीय प्रचारक उदयप्रताप से एक मुलाकात मेरे घर पर बाबूचक हुई।  हम आदोनो के व्यस्तता के बावजूद भी करीब एक घंटा तक वार्तालाप हुई।प्रताप जी llb ma अविवाहित हैं और पूरे जीवन वंचितों के नाम समर्पित किये हुए हैं। जब बात शुरू हुई बाबा साहेब अंबेडकर, महात्मा बुद्ध, पेरियार, शाहू जी महाराज, से लेकर मनुस्मृति तक खुल कर बातें हुईं। वंचितों के अधिकारों के हनन,शोषण,दोहन से लेकर पाखंड,अंधविश्वास, ब्राह्मणवाद तक विमर्श हुआ। उदय प्रताप देश के कोने कोने तक घूमते हैं, उसका भी जिक्र किया। भारत की मूलनिवासी की पहचान और बाहरी लोगों की आततायी पर चर्चा हुई। इनके साथ मेरे छोटे भाई की तरह जो एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक हैं ,भी मौजूद थे।मीर कासिम के समय कैसे हिन्दू लोग इस्लाम धर्म को अपनाए,ये भी बताए।मंदिरों में वंचितों का प्रवेश निषेध था,उस समय सूफी संतों ने वंचितों को गले लगाया,साथ कालीन पर बैठाया,तब कोई क्यों न सम्मान पाये। जब शिक्षा का अधिकार सभी को नही था इसलिए वंचितों के पूर्वजों को अवसर प्राप्त नही हुआ।आज अम्बेडकर के दिये गए संविधान में अधिकार के बदौलत ,सभी को शिक्षा का अधिकार मिला,नतीजा सामने है। वर्णव्यवस्था में ऊपर के तीन कटेगरी को सेवा प्राप्त करने का अधिकार था और नीचे पायदान के लोगों को केवल दास बनाकर रखा।जातियां जानवरों की होती है कोई गाय, भैंस,बकरी,भेंड़,सुअर आदि उनके गुण, स्वभाव के कारण है, लेकिन मानव को मनुवादी ने जानवरों की तरह जातियों में बांट दिया है, जिसके खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।मनुस्मृति के कुछ संस्कृत में श्लोक सुनाए,जिसमें वंचितों को धन,शस्त्र, शास्त्र रखने का अधिकार नहीं था।बातें बहुत हुई ...

4 सितम्बर को बामसेफ के अधिवेशन में आने का निमंत्रण मिला।मैं निश्चित रूप से जाऊंगा और मित्रों से भी अपेक्षा है कि वे भी चलें।

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