संस्कारी दुष्कर्मियों ! ( कहानी ) -प्रसिद्ध यादव।
सम्मान अच्छे काम की उपलब्धि में हासिल किया जाता है, प्रतिष्ठा उतयकृष्ठ कार्य में। जब रामराज्य की बात होने लगी,उद्घोषणा होने लगी तब मेरा मन कहने लगा कि इस कलियुग में कैसा होगा ? कलियुग के रामराज्य का झांकी मुझे दिखाई देने लगा। गुजरात में दुष्कर्म, हत्या के सजायाफ्ता अपराधियों को गुजरात सरकार ने माफ़ी दे दिया और बताया कि ये दुश्कर्मी संस्कारी थे ।अब दुश्कर्मी के पहले संस्कार शब्द लग गया। दुष्कर्म करना अब इस रामराज्य में कौन सा संस्कार हो गया, ये समझ से परे है। सरकार ने संस्कारी दुष्कर्मियों को रिहा होने पर मुँह में लड्डू ठूंस ठूंस के खिलाया,अंगवस्त्र दिया,गले में फूलों के हार पहनाया।निर्भया कांड के दुश्कर्मी ऊपर चले गए और ये लोग राज्य के पथप्रदर्शक बन गए। ये समय समय की बात है कि किसी खास धर्म के लोगों के प्रति दुराभाव है? अंधेर नगरी चौपट राजा है। देशभर में इसका विरोध शुरू हो गया है लेकिन बेशर्मी जरूर कहेंगे कि देशभक्तों को देशद्रोही परेशान कर रहे हैं।अब संस्कारी हत्यारा, चोर,डकैत होंगे।अगर वश चले तो कोई राष्ट्रीय पदक भी दे सकते हैं। ऐसे भी पहले कुछ राजनेता आदरणीय अपराधी जी कहकर संबोधित किया है और आग्रह भी किया है कि अभी खरमास है थोड़ा रुक जाए,अपराध कम करें,फिर खरमास बाद जो करना है करें। ऐसे कायरों डरपोकों से क्या उम्मीद है?
अक्सर कायर लंबा जी लेता है, क्योंकि वे न जंग करता है, न संघर्ष।कायरों के जमात से अच्छा है, अकेला रहना।कायर मुँह छुपा कर जीता है और वीर धीर सामने से प्रहार करता है।ऐसे कायरों के झुंड में रहने वाले कोई वीर कहता है तो मैं नहीं मानता हूं।अनर्थ होने पर भी चुप! कहीं चुल्लू भर पानी ढूंढ लो!
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