जन भावनाओं को कद्र करने वाले को जनप्रतिनिधि चुनें!प्रसिद्ध यादव।

  


जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्रों के आंख ,कान ,मुंह की तरह होते हैं।जो प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए जितना तिकड़म करेगा,वो उतना ही जनता के साथ धोखा करेगा। प्रत्याशियों के चरित्र, चाल चलन को जरूर देखें।अगर इसे अनदेखी करते हैं तो पश्चाताप के सिवाय कुछ नहीं मिलने वाला है। चुनाव के पहले और चुनाव के बाद उसके व्यवहार को देखे ।कितना बदलाव आया था। किये गए विकास के कार्य को जनता के प्रति एहसान समझते हैं जैसे अपने पैतृक संपत्ति से कार्य किया है। जनता को प्रतिनिधि को ये बताना चाहिए कि विकास कार्यों में कितनी ईमानदारी से कार्य किया गया है।सच पूछा जाए तो जनप्रतिनिधि का कार्य कोई व्यवसाय नही ,बल्कि समाज सेवा का क्षेत्र है, लेकिन हकीकत क्या है?सर्वविदित है। अब जो हमारे सामने विकल्प होता है उसी में चुनना होता है।अगर कोई विकल्प सही नहीं है तो नोटा पर बटन दबा सकते हैं।अब प्रमुख प्रत्याशियों के कुछ भोकाल होते हैं जो दिन रात किसी न किसी प्रत्याशी के पक्ष में यशोगान करते रहते हैं। सोशल मीडिया के जमाने में अब काम और आसान हो गया है दिनभर  विचित्र घोषणाओं के साथ  संदेश मिलते रहते हैं।कुछ लोग को लगता है कि पैसों के बल पर, बहु बल से चुनाव जीता जा सकता है।ऐसा सोचने वाले मुगलाते में है।पैसा और बल धरा के धरा रह जायेगा और जनता के दिलों में बसने वाले जीत कर दिखा देंगे।नगर की जनता औसतन शिक्षित होते हैं और इनके निर्णय चौकाने वाले होते हैं लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि वोट पोल करने में फिसड्डी होते हैं।ऐसे में कुछ नहीं होगा?वोट से कीजिए चोट!


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