नंगेली स्तन टैक्स के विरुद्ध अपनी स्तन काट ली थी!-प्रसिद्ध यादव।
गरीब महिलाओं को अपने इज्जत आबरु ढांकने का भी अधिकार नहीं था।ऐसा था हमारा हिन्दू समाज ।9 दिनों तक मिट्टी की मूरत की पूजा करने के लिए लाखों करोड़ों स्वाहा हो जाता है लेकिन साक्षात देवी महिलाओं की इज्ज़त आबरु लूटने में शर्म नही आती है ।मुगलों के अत्याचार को बताते हैं लेकिन शूद्रों, अछूतों के साथ कैसा अमानवीय व्यवहार ऊंचे हिन्दू करते थे।यह नही बताया जाता है। नंगेली का यह कदम सामंतवादी समाज के पुरुषों को उनके मुंह पर करारे तमाचे जैसा था। बात आगे पहुंची और फिर नांगेली और उसके पति से ब्रेस्ट टैक्स की मांग की जाने लगी। एक महीने बाद अधिकारी टैक्स लेने घर आ धमके। नांगेली का स्तन मापा गया। इसके बाद नांगेली घर के भीतर गई और चाकू से अपने दोनों स्तन काट केले के पत्ते पर लेकर बाहर आईं। टैक्स अधिकारी के होश उड़ गए और वे डरकर भाग गए। कुछ देर बाद ही नांगेली की मृत्यु हो गई, लेकिन उनके इस साहसिक कदम ने समाज की अन्य महिलाओं को हिम्मत दी।
26 जुलाई 1859 को राजा के एक आदेश के जरिए महिलाओं के ऊपरी वस्त्र न पहनने के कानून को बदल दिया गया। और इस तरह नांगेली के बलिदान से महिलाओं ने अपना हक छीन कर हासिल किया। अजीब लग सकता है, पर केरल जैसे प्रगतिशील माने जाने वाले राज्य में भी महिलाओं को अंगवस्त्र या ब्लाउज पहनने का हक पाने के लिए 50 साल से ज्यादा सघन संघर्ष करना पड़ा।
नांगेली ने शोषित होने के बावजूद पारंपरिक यौन और सामाजिक मानकों का उल्लंघन किया। उसने अपने शरीर के प्रति समाज की शक्तिहीन सोच को शक्तिशाली प्रतिरोध में बदल दिया। भले ही नांगेली के शरीर को शोषित किया गया हो, लेकिन उसने भावनात्मक रूप से घायल होने को मंज़ूर नहीं किया। हमारे समाज में अक्सर यह देखा गया है किसी भी सामाजिक विकृती की तरफ़ हमारी चेतना को जगाने के लिए किसी मासूम को अपने प्राणों की कीमत चुकानी पड़ती है। लेकिन क्या यह सही है? ऐसी वीरांगना की कहानी इतिहास के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाना चाहिए।
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