भारत में भुखमरी के कारण!-प्रसिद्ध यादव।

  ये भोजन हो रहा है कि पिंड दान!


   हर व्यक्ति को पर्याप्त मात्र में सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिल सके। दुनिया में हर दस में से एक व्यक्ति दूषित भोजन का सेवन करने से बीमार पड़ जाता है। हर वर्ष भोजन और जलजनित बीमारियों से लगभग तीस लाख लोगों की मौत हो जाती है।  आज विश्व में कई ऐसे देश है, जहां लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं। विश्व की आबादी वर्ष 2050 तक नौ अरब होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसमें करीब 80 फीसद लोग विकासशील देशों में रहेंगे। ऐसे में सबसे अहम सवाल यह है कि एक ओर हमारे और आपके घरों में रोज सुबह रात का बचा हुआ खाना बासी समझकर फेंक दिया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें एक वक्त का खाना तक नसीब नहीं होता। कई बार वे भूख की वजह से दम तोड़ देते हैं।आज भारत हंगरी इंडेक्स में 107 पायदान पर आ गया जो चिंताजनक है।

एक अनुमान के मुताबित, भारत में हर वर्ष जितना भोजन तैयार होता है उसका एक तिहाई बर्बाद चला जाता है। बर्बाद जाने वाला भोजन इतना होता है कि उससे करोड़ों लोगों की खाने की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। जाहिर है खाद्य अपव्यय को रोके बिना खाद्य सुरक्षा संभव नहीं है। हमारे देश में हर साल उतना गेहूं बर्बाद होता है, जितना आस्ट्रेलिया की कुल पैदावार है। इससे 30 करोड़ लोगों को सालभर भरपेट खाना दिया जा सकता है। हमारे देश में 2.1 करोड़ टन अनाज केवल इसलिए बर्बाद हो जाता है, क्योंकि उसे रखने के लिए हमारे पास पर्याप्त भंडारण की सुविधा नहीं है।

औसतन हर भारतीय एक साल में छह से 11 किलो अन्न बर्बाद करता है। कह सकते हैं कि भूख से मौत कहीं भी हो, किसी की भी हो, यह वैश्विक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के नाम पर काला धब्बा है। यह मिटना ही चाहिए। भोजन की बर्बादी रोकने के लिए हमें अपनी आदतों को सुधारने की जरूरत है।

   देश में खाद्य उत्पादन तो खूब हो रहा है, मगर अफसोस कि लाखों लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है। इसकी एक वजह खाद्यान्न की बर्बादी भी है। खबरों के मुताबिक ब्रिटेन की आबादी का पेट भरने के लिए जितने अनाज की जरूरत पड़ती है, उतना अनाज हमारे देश में बर्बाद हो जाता है। खाद्य भंडारण व्यवस्था निर्धारित मानकों से बहुत निचले स्तर की है। इसके अतिरिक्त जो अनाज गोदामों में सुरक्षित रखा जाता है, उसका भी एक बढ़ा हिस्सा जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता। बढ़ती जनसंख्या भी बड़ा कारण है। इसलिए अन्न की बर्बादी रोकना जरूरी है।

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