जवानी की दहलीज़ पर एक भूल ! ( कहनी ) -प्रसिद्ध यादव।
वंदना निराश मन से अपनी खास सहेली विनम्रता की घर आई। विनम्रता चेहरे के हावभाव से समझ गई कि कोई जरूर बात है।वंदना सिसकती हुई बोली -मैं बर्बाद हो गई!क्या हुआ? विनम्रता पूछी।वंदना आंसू गिराते हुई बोली - पटना का एक राहुल सिंह था जो मेरे साथ साथ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ता था। उससे प्यार हो गया।अब मैं उसके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।उससे शादी के लिए कितनी बार कहा लेकिन वो टाल दिया।अब पटना जाकर खत में लिखा है कि उसे सपना समझकर भूल जाओ।मैं कॉलेज हमेशा के लिए छोड़ दिया। अब मैं क्या करूँ? विनम्रता ढांढस बंधाया की ओवेर्सन करवाने की कोई जरूरत नहीं है तुम डिलिवरी होने तक मेरे घर में रहो फिर डिलेवरी के बाद बच्चा को खत्म कर देंगे और कोई जानेगा भी नही। समय पूरा हुआ वंदना बनारस के राधे कृष्ण नर्सिंग होम में भर्ती हुई और ऑपरेशन से एक सुंदर बच्चा का जन्म हुआ। एक सप्ताह के बाद दोनों सहेली अस्पताल से निकलकर सुनसान जगहबच्चा को ठिकाने लगाने चली गई। वंदना की ममता जग गई और वो ऐसा करने से रुक गई। विनम्रता फेंकने के लिए बोली लेकिन ये तैयार नहीं हुई। वंदना एक तरकीब बताई की क्यों न बाबा विश्वनाथ मंदिर के पास बच्चे को छोड़ दें। दोनो सहेली सुबह सुबह मंदिर परिसर में गयी वहां एक बुजुर्ग माली फूल के दुकान में बैठा था। उसे 100 रुपए के नोट देकर दोनों फूल माला खरीदी और अपनी अपनी सैंडल बैग दुकान में रख दी। बच्चा सो गया था उसे भी दुकान में सुला दी और दोनों मंदिर में चली गई।मंदिर गई तो फिर वापस नहीं आई।अब बुजुर्ग माली परेशान अपने धंधे को छोड़ बच्चे में लग गया।तीन घण्टे के बाद उसकी बूढ़ी पत्नी खाना लेकर आई।दुकान में बच्चा देखकर पूछी तो बुजुर्ग सारी बातें बताई। बुजुर्ग पत्नी को दुकान पर बैठकर मंदिर में उन सहेलियों को ढूंढने गये लेकिन नही मिली। अब बुजुर्ग दम्पति नवजात को थाना के हवाले करने चल पड़ा। थाना से पहले एक 6 फिट का युवा पुलिस की नज़र उस पर पड़ी ।जवान सारी बातों से वाकिफ़ हुआ और उस नवजात शिशु को गोद ले लिया।वो उत्तर प्रदेश का पुलिस मनोज यादव था जो यूपी के सबसे बड़े गाँव गहमर का रहने वाले अविवाहित था। बच्चा को माता पिता की तरह भरण पोषण करने लगा। 8 साल बाद मनोज का पोस्टिंग मेरठ में हो गया तबतक वो बच्चा भी बड़ा 8 साल का हो गया और उसका नाम दीपक था। एक दिन मेरठ अपने क्वाटर से खेलते हुए सिटी एसपी के बंगले में जा घूस और वहाँ दो फूल तोड़ दिया। माली गुस्से में आया और बच्चे को मारने लगा।बच्चा का सर फट गया।बच्चा रोते हुए मनोज के पास आया और आपबीती सुनाई।मनोज गुस्से में बच्चा को लेकर बंगले में गया और माली को मारने लगा। बंगला में हंगामा खड़ा हो गया। सिटी एसपी की बॉडी गार्ड मनोज को पकड़ लिया तबतक सिटी एसपी भी वहां आ गई।मनोज को बांधकर पुलिस पीटने लगी और उसे सस्पेंड का लेटर निकाल दी। मासूम दीपक सिटी एसपी की पाँव पकड़ रोने लगा। पाँव के स्पर्श होते ही मैडम के अंदर ममता जगी और बच्चे को गले लगाते हुए मनोज को छुड़ा दिया। दीपक ने रोते हुए कहा कि -मेरे परिवरिश करने के लिए ये खुल जीवन भर अविवाहित रह गए। मैं किसी का नाजायज औलाद हूँ। मैडम मनोज से पूछी-ये बच्चा कहाँ मिला था?मनोज सारी बातें बता ही रहा था कि मैडम कुर्सी से उठकर रोने लगी और दीपक को गले लगाकर चूमने लगी। सभी लोग यह देखकर आश्चर्य में पड़ गए।मनोज पूछा-मैडम!आप क्यों रो रही हैं?मैडम बोली मैं भी आजीवन अविवाहित रहने की प्रतिज्ञा की है।मैं जवानी की दहलीज़ पर धोखा खाई हूँ और यही दीपक मेरा बेटा है जिसे मैं विश्वनाथ मंदिर के पास बूढ़े माली के पास छोड़ गई थी।मैं पापिनी हूँ।मुझे माफ़ कर दो मनोज! दीपक कभी मनोज को देखता कभी अपनी माँ को। दीपक मनोज के पास चला गया। मैडम दोनो को साथ रहने के लिए जिद्द करती रही लेकिन न दीपक रहा न मनोज।
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