ब्रजकिशोर दुबे उर्फ बुझावन भाई सदा के लिए बुझ गये !😢 -प्रसिद्ध यादव।

        


आकाशवाणी पटना के चौपाल कार्यक्रम में बुझावन भाई के नाम से जाने जानेवाले ब्रजकिशोर दुबे उर्फ बुझावन भाई काफी लोकप्रिय थे। वे एक अच्छे गीतकार, गायक और कलाकार भी थे। लोहा सिंह नाटक में रामेश्वर कश्यप के साथ इनकी भी खूब जोड़ी जमी थी। भोजपुरी फिल्म माई और बिहारी बाबू में इनके लिखे गीत आज भी लोकप्रिय हैं।राखी हर साल आवेला सवनवा में , काहे ले आइल डोलिया कहार बलमू, अबही बारी उमिरिया हमार बलमू.. जैसे गीत लिखने वाले गायक व गीतकार ब्रजकिशोर दुबे की सोमवार को मौत हो गई। पटना के राजीव नगर में दोस्त के घर में संदिग्ध अवस्था में उनका शव मिला। ब्रजकिशोर के जाने से बिहार के कलाकारों में शोक की लहर है। 24 जनवरी 1954 को रोहतास के मंगरवलिया में जन्म लेने वाले दुबे का पटना से भी गहरा लगाव रहा। वे वर्षो से राजीव नगर थाना क्षेत्र के घुड़दौड़ रोड में रहते हुए बच्चाें को लोक गीतों का प्रशिक्षण देते रहे। दुबे ने भोजपुरी फिल्म बिहारी बाबू, माई समेत अन्य फिल्मों के लिए खूब गीत लिखे। शैलेंद्र की शैली में लिखने वाले वे आखिरी गीतकार थे। गीतकार ब्रजकिशोर खुद की परेशानियों को भुलाकर लोगों को अपनी बातों से खूब हंसाते थे। महेंद्र मिसिर की रचना अंगुरी में डसले बिया नगिनिया.. वे हमेशा गुनगुनाते रहते थे। काफी सहज और मिलनसार थे। उन्होंने  तोहरी दुअरिया मैया अइनी भीखइनिया हो...बाबा हरिहर नाथ के महिमा अपार ये सुन हे सखिया..बेरी-बेरी पइयां परीं करी हथजोरिया ये पियउ.. काहे ले आइल डोलिया कहार बलमू, अबही बारी उमिरिया हमार बलमू... जैसे कई गीत गाए। वे कई वर्षों तक भोजपुरी भाषा अकादमी की सेवा करते रहे। 

ब्रजकिशोर दुबे को संगीत नाटक अकादमी की ओर से 2017 में पुरस्कार मिलने पर तब बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविन्द ने बधाई दी थी। बिहार सरकार की ओर से 2013 में वरिष्ठ लोक गायक का भी उन्हें पुरस्कार मिला था। वे पटना आकाशवाणी के वरिष्ठ कलाकार थे। ब्रजकिशोर दुबे का आकाशवाणी से 40 वर्षों से जुड़ाव रहा। वे आकाशवाणी में चौपाल कार्यक्रम में बुझावन भाई से लोकप्रिय रहे।  वे काफी प्रसन्न रहने वाले इंसान थे। उनका इस प्रकार दुनिया से जाना कलाकारों के लिए अपार क्षति है।


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