सबसे लाचार किसान ,बेरोजगार यहाँ! -(कविता ) -प्रसिद्ध यादव।

  सबसे लाचार किसान ,बेरोजगार यहाँ!


न कोई इसका पैरोकार यहाँ!

सबसे लाचार किसान, बेरोजगार यहाँ!

जिसे जब मन चाहा रौंदा इन्हें 

कोई चलाकर गोली 

कोई मीठी बोलकर बोली 

न एमसपी बढ़ता है 

न प्रश्न पत्र लीक होने से रुकता है।

 धन्नासेठ दोनों पर बैठा कुंडली मार  यहाँ!

सबसे लाचार..

न इनके लिए कोई नेता है 

न कोई ऐसी नीति है 

जब आता समय वोट का 

तब दोनों से प्रीति है ।

कोई जाति का घुटी पिलाता है

कोई धर्म के आग में झोंकता है ।

कोई धरतीपुत्र कह फुलाता है 

कोई युवाओं का देश बताता है।

अपने पहनकर ताज सर पर 

दोनों को कटोरा थमाता है यहाँ!

सबसे लाचार..

न एकता है इनकी 

आपस में है सब छिन्न- भिन्न

सभी उपयोग कर फेंक देते डस्टबिन में 

समझते  हैं कचरे की ढेर यहाँ!

सबसे लाचार ..

सवाल पूछना है मना

 लिखना है मना

सर उठाना है मना 

आँखें मिलना है मना

स्वर फूटे जो विद्रोह के 

उसे दफ़न कर दिया जाता है यहाँ!

सबसे लाचार किसान,बेरोजगार यहाँ!-प्रसिद्ध यादव।


Comments

Popular posts from this blog

डीडीयू रेल मंडल में प्रमोशन में भ्रष्टाचार में संलिप्त दो अधिकारी सहित 17 लोको पायलट गिरफ्तार !

जमालुद्दीन चक के पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव नहीं रहे !

अलविदा! एक जन-नेता का सफर हुआ पूरा: प्रोफेसर वसीमुल हक़ 'मुन्ना नेता' नहीं रहे !