एक मुलाकात सांसद रामकृपाल यादव जी के साथ -प्रसिद्ध यादव
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आज करीब 6 साल बाद पाटलिपुत्र सांसद रामकृपाल यादव जी से मुलाकात हुई। चेहरे की झुर्रियां उम्रदराज होने का संकेत दे रहा था,लेकिन फुर्ती और कार्य करने का वही जज्बा, तौर तरीके देखा। करीब 1990 से देख रहा हूँ उस वक्त काली दाढ़ी गठीला शरीर ,चेहरे पर चमक गज़ब की थी,लेकिन समय चक्र चलते रहता है इस बीच भारी ठंड में भी सुबह से लोगों को आना जाना लगा रहता और उनकी समस्याओं को यथासंभव निदान करने का प्रयास करते हुए। इनकी सर्वसुलभता, आत्मीयता के साथ लोगों के साथ मिलना ही इनकी लोकप्रियता का राज है। आम आदमी भी नुमाइंदे से यही उम्मीद करता है और जो इसपर खड़े नहीं उतरते वो जनता के दिल से भी उतर जाते हैं। यादव जी से कुछ निजी,कुछ राजनीति बातें हुईं। इनकी सबसे बड़ी विशेषता है कि इनकी कार्य करने की प्रणाली गज़ब है। कौन समर्थक हैं और कौन विरोधी है ये सोचकर या जानकर काम नहीं करते हैं, बल्कि विरोधियों को भी कभी निराश नहीं करते हैं।देश के सबसे बड़ी पंचायत में बैठने वाले को गली कुछ में भी बैठकर काम करने में कोई परहेज नहीं है, न कोई लाव लश्कर, न कोई तामझाम, बिल्कुल सादगीपूर्ण रहन सहन से रहना इनकी खासियत है। पटना और पाटलिपुत्र से जितनी बार इन्हें सांसद होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।शायद यह नसीब किसी और को नहीं हो सकती है। चाहे राजद या भाजपा के टिकट पर ही क्यों न हो लोकप्रियता कायम रही। राजद के टिकट से पराजय का मुँह देखना पड़ा था लेकिन भाजपा से लगातार दो बार जीत दर्ज किया। क्षेत्र भ्रमण में इनका कोई मुकाबला नहीं है और यह गुण हर राजनेताओं में होना चाहिए। पटना में रहने पर सुबह सुबह गांधी मैदान का चक्कर और वहां भी जनता की बातें सुनना लोगों में सकून देती है। अग्रज दीर्घायु हो,स्वस्थ्य रहें ।यही ईश्वर से कामना करता हूँ।
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