धर्म के नाम पर पाखण्ड बन्द हो !प्रसिद्ध यादव।
धर्म के नाम पर पाखण्ड बन्द हो !
आज प्रायः सभी धर्मों के ठेकेदार बने हुए हैं।कोई फतवा,कोई फ़रमान जारी करता है कि कैसे धर्म के नाम पर दुकामदारी चले? राजनेता भी इसे खूब मुद्दे बनाते हैं। लोगों को भावनात्मक रूप से उग्र करते हैं। देश में करोड़ों बेरोजगारी, भुखमरी, अशिक्षा, कुपोषण, गैर बराबरी है लेकिन इसके लिए कितने लोग आवाज उठाते हैं?देश के मुख्य मुद्दे गौण हैं और नफरती पहलू मुद्दे बने हुए हैं।अंधविश्वास, पाखंड घर -घर घर कर गया है। धर्म के नाम पर को पाखंड में उलझाना बहुत खतरनाक है। एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचारी भी धर्मगुरु के पास जाकर फतवा ले लेता है कि कोई फर्क नहीं पड़ता। लोग 50 करोड़ का दान करते हैं और हजारों करोड़ लूटते हैं। यह बड़ी समस्या बन रही है। देश में डेरों के पास भीड़ बढ़ रही है। बड़ी दाढ़ी वाले बाबे मिनटों में समस्या के छू-मंतर होने का समाधान बताते हैं। जनता भेड़चाल होती है। सरलता व सुविधा से समस्या का समाधान ढूंढती है। इसलिए इनके पास जा रही है। भागवत कथा की शुरुआत में कथा वाचक कहता है कि सात दिन तक कथा करने से सात जन्म के पाप कट जाएंगे। ये पाप कैसे कट जाते हैं, आज तक समझ नहीं आई। ऋषि दयानंद ने कहा था सत्य के रास्ते पर चलो यह पद्धति कठिन है। इसमें आदमी को जीवन में तप और संघर्ष करना पड़ता है। समाज से टकराना भी पड़ता है। इसलिए भीड़ की तरफ चले जाते हैं। --अच्छे मूल्यों का पालन करने में कठिनाई होती है लेकिन इसका फलाफल अच्छा लगता है। हमें वैज्ञानिक सोच रखना चाहिए, तार्किक होना चाहिए।कुछ मीडिया और रचनाकार भी पाखंड फैलाने में दिन रात लगे हुए हैं, जिनसे सतर्क रहने की जरूरत है।
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