लचर व्यवस्था के सामने लाचार सरकार ! जब सरकार ही लचर
व्यवस्था के सामने लाचार हो जाये तो आमजन का हाल क्या होगा ? कोई सहज समझ सकता है। चाहे मामला केंद्र या राज्य सरकार की ही क्यों न हो? अभी हाल ही में आरक्षित सीटों पर पद खाली रह गया?क्या कोई योग्य अभ्यर्थी नहीं मिला, जबकि देश में करोड़ों युवा बेरोजगार सड़कों पर हैं। बिहार की बात करें तो यहां कोई भी परीक्षा पारदर्शिता पूर्ण हो ,असम्भव है।कहीं न कहीं ग्रहण लग ही जाता है और इससे लाखों प्रतियोगियों के अंदर असन्तोष हो जाता है। अभी सरकार बिहार में एक दर्जन अंचलाधिकारी, पुलिस पर कार्यवाही की है लेकिन अभी भी आदत नही सुधरी है।काम को लटकाना ,टालना नॉकरशाह की मौलिक अधिकार हो गया है। आज व्यवस्था बेलगाम है तभी तो नित्य नये नये भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं और इसमें राजनीति, अपराधी ,नॉकरशाह की तिकड़ी का कमाल है। कुछ फ़ीसदी ईमानदार लोगों के भरोसे पूरे सिस्टम नही सुधर सकता है ।आखिर लुंज पुंज व्यवस्था में बदलाव कैसे हो ?ये अहम सवाल है। सरकार बदलती है लेकिन व्यवस्था वही रह जाती है।आखिर क्यों?सरकार से नॉकरशाह को रति भर भी भय नहीं है। आम आदमी इस व्यवस्था का विरोध करे तो उसे झूठे मुकदमे में फंसा दिया जाता है। सरकार और जनता में सीधा संवाद होना चाहिए और उनसे फीडबैक लेना चाहिए। व्यवस्था में जो गड़बड़ी करता है उसे अविलंब सलाखों के अंदर करना चाहिए तब व्यवस्था में सुधार होगा।
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