प्रतियोगियों के साथ खिलवाड़ क्यों?-प्रसिद्ध यादव।

   


 बिहार  तृतीय स्नातक की परीक्षा भी बीपीएससी की तरह पेपर लीक की शिकार हो गई। आयोग निष्पक्ष परीक्षा की बड़ी बड़ी दावे कर रही थी। 8 सुरक्षा चक्र के घेरे से प्रश्न पत्र परीक्षा केंद्र पर पहुंचना था।सर्दी के दिनों में भी प्रतियोगियों को जूते पहने से रोक थी,कलम ले जाने पर भी रोक थी तो सवाल उठता है कि परीक्षा केंद्र के अंदर मोबाईल फोन कैसे चला गया और पेपर वायरल हो गया।बिहार में प्रतियोगिता परीक्षाओं में पेपर लीक होने का मामला नया नहीं हैं, बल्कि अधिकांश परीक्षाओं में पेपर लीक हो ही जाता है।   बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा का पेपर लीक होने का है। दरअसल, बिहार कर्मचारी चयन आयोग की तृतीय स्नातक स्तरीय प्रारंभिक परीक्षा हुई, जिसे 2 पालियों में लिया गया, लेकिन प्रथम पाली की परीक्षा शुरू होने के लगभग एक घंटा बाद ही परीक्षा का पेपर लीक हो गया। वहीं इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई ने जांच शुरू कर दी है। शुक्रवार को बिहार कर्मचारी चयन आयोग का पेपर था। पहली  पाली सुबह 10.15 से 12.15 बजे तक थी, लेकिन 11 बजे के आसपास प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा। प्रथम पाली की परीक्षा खत्म होने के बाद जब वायरल प्रश्न पत्र को मिलाया गया तो उसमें सेम सवाल आया था। इसके बाद अभ्यर्थी हंगामा करने लगे। इस मामले की जानकारी सबसे पहले छात्र नेता दिलीप कुमार ने इओयू और मीडिया कर्मियों को दी।ऐसे में कोई निष्पक्ष परीक्षा की उम्मीद कैसे करेगा?इतनी ठंड में प्रतियोगी कैसे परीक्षा देने दूर- दूर गये होंगे ?सहज ही समझा जा सकता है।सरकार प्रतियोगियों को आश्वस्त करे कि परीक्षा फेयर हुई है नहीं तो सरकार की विश्वसनीयता पर संदेह जरूर होगा।

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