आंखों पर पट्टी बंध गई न्यायपालिका की !-प्रसिद्ध यादव।
ऐसे सभी को न्यायपालिका का आदर करना चाहिए, इसके ख़िलाफ़ मुंह खोलना मना है नही तो न्यायालय के अवमानना का दंड दिया जाता है। देश संविधान से चलता है और इसके ऊपर कोई नहीं चाहे कोई न्यायालय हो या न्यायाधीश ! कई मौके पर न्यायालय का फैलता विचलित कर देता है और असंतोष होता है तभी तो निचली अदालत के फैसले के खिलाफ लोग उच्चतम न्यायालय में जाते हैं। हाल ही में रेलवे के ग्रुप डी का रिजल्ट घोषित किया गया इसमें ईडब्ल्यूएस का कट ऑफ मार्क्स ओबीसी ,एससी से भी कम रहा ।क्या यह न्यायसंगत लगता है। इसको कौन देखेगा ?कौन मोनेटरिंग करेगा?क्या ऐसे न्याय से लोगों में असंतोष नही होगा ? अब इसके बाद यूपी के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के बिना तुगलकी फरमान जारी हो गया। इतनी भी क्या जल्दी है कि राज्य के बहुसंख्यकों की हकमारी कर ले। योगी सरकार को इस फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि इस बार बगैर आरक्षण के निकाय चुनाव करवाए जाएं। हाई कोर्ट का कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित ट्रिपल टेस्ट का मानक पूरा न हो तब तक आरक्षण को लागू नहीं किया जाए। साथ ही अदालत ने तुरंत चुनाव की घोषणा करने को भी कहा है।
हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में 2017 के ओबीसी रैपिड सर्वे को नकार दिया है। अदालत ने निकाय चुनावों के लिए पांच दिसंबर को जारी अधिसूचना को भी खारिज किया है। राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मसले पर भाजपा को घेरते हुए कहा- आज आरक्षण विरोधी बीजेपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है। आज बीजेपी ने पिछड़ों के आरक्षण का हक छीना है, कल वो बाबा साहब द्वारा दिए गए दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी। उन्होंने आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछडों व दलितों से सपा का साथ देने की अपील की है। इसलिए बार बार आगाह किया जा रहा है कि हिन्दू धर्म खतरे में नही है, संविधान खतरे में है और भाजपा की सरकार रही तो एकदिन संविधान के जगह मनुसंहिता लागू हो जाएगा फिर जीवन भर कटोरे लेकर घूमते रहना।
Comments
Post a Comment