जब छूट गया ममता का साथ !😢 - प्रसिद्ध यादव।

  


जिस गोद में खेले,जिनकी पल्लू पकड़कर खड़े हुए ,ममता की सागर में बड़े हुए,वो माँ एकाएक परलोक सिधार जाये तो संतान  के लिए असहनीय पीड़ा होती है। आज मेरे छोटे साढू पप्पू जी की माँ माया मोह छोड़कर श्रीधाम चली गई।  वे सिसक कर मां को अंतिम दर्शन कर रहे थे।पूरे जीवन के प्ले बैक चल रहा होगा । सारे परिजन थे,ढांढस बंधा रहे थे लेकिन मां जैसी भरोसा ,ममता लुटाने वाली कौन? घर की मालकिन चली गई।लाचार पिता जी मुखाग्नि दी । आदमी का बिसात क्या है?ये कोई शमशान घाट पर ही अच्छी तरह से समझ सकता है। यही प्रकृति का नियम है और इससे अछूता कोई नहीं।लोग कलेजे पर पत्थर रखकर दुनियादारी निभाते हैं। रात में करीब 2.30बजे मोबाइल की घंटी बजी ,नींद टूटी लगा कोई अशुभ ख़बर है तभी तो इतनी रात को कॉल आया। फोन रिसीव करते ही बताये की माँ जी गुज़र गईं।सुबह सुबह घर से बिक्रम दनारा जाना कठिन था,ठंढ और कुहासे में हम दोनों व्यक्ति पहुंचे।छोटी छोटी बच्ची दहाड़ मार कर दादी दादी कर रो रही थी।हम भी करीब 25 वर्षों से देख रहे थे, बेटा की तरह मुझे भी मानती है। मृत्यु शाश्वत सत्य है।

पुण्य आत्मा को श्री चरणों में स्थान मिले।

कोटि कोटि नमन!

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