सूदखोर सूद के बदले बेटी ही ले लिया !-प्रसिद्ध यादव।

    


  ऐसे कुकृत्य अभिजात्य वर्ग में हो और कोई धर्म की हानि नहीं होता है और ना ही धर्म संकट में दिखता है। देश में केवल नफरत फैलाने के लिए, सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए धर्म संकट में पड़ जाता है। सूदखोर किसी कसाई से कम नहीं होता है ,वो जानवरों की हत्या करता है लेकिन सूदखोर पूरे पीड़ित परिवार को कहीं मुँह दिखाने के लायक नहीं छोड़ता है। ताज्जुब तो इस बात की है कि ऐसे सूदखोरों, दलालों को समाज में मान सम्मान भी खूब मिलता है। सूदखोर महेंद्र पांडेय ने जो कुकृत्य किया है वो कानूनी व नैतिक रूप से भी गलत काम किया है। बिहार के सिवान में  मां ने 2 लाख का कर्ज 40 साल के महेंद्र पांडेय से लिया, मां कर्ज़ न चुका पाई, जिसके कारण बेटी को महेंद्र के घर पर छोड़ दिया था ,माँ के पास कोई चारा नहीं थी,पुलिस उस पीड़िता माँ की सुनती नहीं थी । महेंद्र पांडेय ने इस बच्ची से शादी कर ली , जबकि वह  पहले से ही   शादीशुदा व दो बच्चे हैं । बच्ची सकुशल बरामद कर ली गई है, महेंद्र पांडेय को अलग- अलग धाराओं और पोस्को एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। लड़की पांडेय के दूर की रिश्तेदार भी है। कल्पना कीजिए कि अगर आज देश में मनुस्मृति लागू रहता तो महेंद्र पांडेय निर्दोष होता,वो किसी दंड के भागी न होता,क्योंकि ढोंगियों ने इसे ब्रह्मा के मुंह से जन्म लेने की बात करता और जो इससे जन्म लेता है वो चाहे लाख कोई कुकर्म कर ले न कोई पाप होता न दंड का भागी होता। ये तो भारतीय संविधान की देन है कि आज कानून के समक्ष बराबर है। मनुवादी धर्म की महिमा समझने के लिए इससे ज्यादा कुछ नहीं है।अभी देश में इसी नीति को लागू करने के लिए बल दिया जा रहा है और कुछ  बन्दर उछल - कूद कर के गर्व महसूस कर रहा है।

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