कथा जाये भांड में , पहले जान बचे!- प्रसिद्ध यादव।
सावित्री बट पूजा में मधुमक्खी ढाया कहर!
फुलवारी शरीफ के खगौल बाबूचक मुख्य सड़क पर महम्मदपुर में एक बट बृक्ष है, जिसे ब्रह्मबाबा के नाम से लोग जानते हैं। आज बट पूजा, सावित्री पूजा है।सुबह 5 बजे से ही महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बट पूजा कर रही थी, पेंड़ की परिक्रमा कर रही थीं। लखनिबीघा कि पंडित जी अपने पुत्र के साथ पूजा स्थल पर विराजमान थे और कथा कह रहे थे। होम शुरू हुआ, धुंआ धुंआ हो गया तबतक 100 से अधिक महिलाएं जुट गई थी और छोटे छोटे बच्चे भी थे। धुआं जाकर बट बृक्ष के मधुमक्खी के छत्ते में लग गई फिर इसके बाद क्या हुआ होगा ? आप सहज समझ सकते हैं। हजारों मधुमक्खी सुहागिनों पर टूट पड़ी ,बाप बाप की चीत्कार होने लगा।पंडित जी भयावह स्थिति को भांप गए पुत्र सहित दान दक्षिणा छोड़कर महम्मदपुर गांव की ओर भागे लेकिन मधुमक्खी असली दुश्मन को पहचान गया था, हजारों मधुमक्खी बाप बेटे को काटने लगा ,गमछी के घूंघट भी ओढ़ लिए थे,लेकिन घूंघट में घुसकर काटा।आगे आगे पंडित जी, पीछे पीछे मधुमक्खी रानी पंखा हिला रही थी। सड़क पर एक छोटी बच्ची में इतनी लुझ गयी कि बेचारी सड़क पर ही लौटने लगी,कोई पास नहीं जा रहा था।सैंकड़ों लोग आज मधुमक्खी के हमले से घायल हुए। सबसे ज्यादा फजीहत मॉर्डन कन्याओं को हुई जो बिना दुपट्टे के सलवार सूट में थी।सारी वाली कन्याएं अपनी बदन ढक ली लेकिन मॉर्डन बिलख रही थी।गनीमत रही कि 100-200 लोग ही थे,अगर हजारों की संख्या में होते तो क्या होता ?आज हर आदमी यही सोच रहा था कि सुबह सुबह किसके मुँह देखकर उठे थे? फिर हाल जो भी हो, सभी स्वस्थ्य हों और सभी के पतिदेव दीर्घायु हों ।यही कामना है।
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