अंतिम इच्छा की कचूमर ! (कहानी )- प्रसिद्ध यादव।

   


 एक दिन बेचू साव अपने पुत्रों को बुलाकर कहा -" बेटा ! मेरी एक अंतिम इच्छा है कि की मेरी मृत्यु के बाद मेरा अंतिम संस्कार पटना बांस घाट गंगा तट पर किया जाए।" पुत्रों ने सहमति जताई लेकिन स्वलिये लहजे में कहा कि हमलोग मनेर के आसपास के लोग हल्दी छपरा जाते हैं ,वहां गंगा सोन की संगम है।यह ज्यादा शुभ है।" पिता " तुमलोगों को कहना ठीक है लेकिन पटना बांस घाट की बात ही कुछ अलग है, वहां बड़े बड़े लोगों का अंतिम संस्कार होता है और हमारे देशरत्न राजेंद्र बाबू के भी समाधि वही है।" पुत्र समझ गए। साव जी बड़ी नेक दिल इंसान थे।गांव जेवार में जब कभी किसी चीज की जरूरत होती साव जी के दरवाजे चले आते ।साव जी कभी निराश भी नहीं करते।वे एक धर्म परायण व्यक्ति भी थे।  गांव में साल में कुछ न कुछ धार्मिक अनुष्ठान होते रहते थे।गांव में इसी बहाने खान पान होते रहता था। साव जी गांव में बाहर कहीं जाते "" राम - राम "से अभिवादन होता था। एक दिन साव जी के अंतिम दिन आ गया और स्वर्ग सिधार गये।चारों तरफ शोक की लहर फैल गई, आसपास को अंतिम दर्शन व अंतिम यात्रा के लिए जुट गए। अंतिम यात्रा हाथी घोड़े ,बैंड बाजे, निर्गुण गायन के साथ हजारों लोगों के साथ गाड़ी फूल माला से सज धज कर चल दिया। रास्ते में खूब पैसे बतासे लुटाए गये। साव जी अमर रहें से गूंज रहा था। स्थानीय जनप्रतिनिधियों का रेला चल रहा था। बांस घाट पर शव पहुंच गया। अंतिम संस्कार से पहले घाट पर रखा हुआ था कि किसी पूर्व मंत्री के शव आने की सूचना मिल गई। पुलिस प्रशासन घाट पर पहुंच गई और घाट पर मुआयना करने लगी क्योंकि घाट पर सीएम और कई केंद्रीय मन्त्रियों का आगमन था ,छुटभैये नेताओं की बात छोड़ दें। अन्य सभी शवों को साइड किया गया और पूर्व मंत्री के शव के जलने के बाद ही दूसरे शव को जलाने का आदेश दिया गया। एक दो घण्टे समय बढ़ गया।पूर्व मंत्री के शव घाट पर आया।अब इन्हें देखने के लिए इतनी हुजूम उमड़ पड़ी की बाकी शव कुचलाने लगी। साव जी के शव की भी दुर्दशा हो गई।नेता के शव जलने के बाद वेटिंग वाले शव की बारी आई।शव की दुर्दशा देखकर लोग बोलने लगे -"बस साव जी की यही इच्छा रह गई थी जो आज वीआइपी लोगों ने पूरी कर दी।" डेड बॉडी भी वीआईपी होता है और इसका  टिटमेंट  भी वीआईपी जैसा होता है।

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