कटते पेंड़, उजड़ते वन , विनाश की ओर ! - प्रसिद्ध यादव।
भारत में प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र (औसत हेक्टेयर में)(2019)
0.29 है। देश के भौगोलिक क्षेत्र का कुल वन और वृक्ष क्षेत्र 24.56% है।कुल वन क्षेत्र 7,12,249 वर्ग किमी है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.67% है।वृक्ष क्षेत्र देश के भौगोलिक क्षेत्र का 2.89% है। क्षेत्रफल की दृष्टि से: मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं। कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में शीर्ष पाँच राज्य मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर और नगालैंड हैं। शब्द 'वन क्षेत्र' '(Forest Area) सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार भूमि की कानूनी स्थिति को दर्शाता है, जबकि 'वन आवरण' (Forest Cover) शब्द किसी भी भूमि पर पेड़ों की उपस्थिति को दर्शाता है। शहरीकरण की अंधी दौड़ में आदमी पिंजड़े में बन्द तोते की तरह हो गया है। सारी सुविधाएं एक छत के नीचे ढूंढ रहे हैं। शहरीकरण में सबसे पहले पेड़ों को बिना मोह माया के काटे गए और अपना आशियाना बना दिया। पेड़ों की जगह मोबाईल के टावर, विज्ञापन के होडिंग ,बिजली के खम्भे नज़र आते हैं।इसका रेडिएशन के दुष्प्रभाव कितना है?विद्वानों से अधिक कौन जानेगा ? अंग्रेज एक पेंड़ काटने पर 10 पेंड़ लगाने का कानून बनाये थे, लेकिन अब वो गुजरे जमाने की बात हो गई। हरे भरे पेड़ों की ताजगी हवा की जगह एसी का आनंद ले रहे हैं। आज हिट वेव से लोग जूझ रहे हैं, प्राणी तपती धूप से झुलस रहे हैं, मर रहे हैं।आने वाले समय और भयावह होने वाले हैं। हर आदमी को कम से कम 10 पेंड़ लगाना होगा तब अपने आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित जीवन दे सकेंगे और खुद भी। खेत मकान में तब्दील हो रहे हैं, गांव नगर बन रहे हैं, जंगल मैदान बन रहे हैं और प्राणी गर्मी से बेचैन तड़प रहा है। वनों की बेरहमी से हो रही कटाई के कारण एक तरफ ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है वहीं दूसरी और प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। कई जीव हमारी धरती से लुप्त हो चुके हैं।सही तरह से आँका जाए तो प्रलय का वक्त नजदीक नजर आ रहा है। इस प्रलय से बचने के लिए हमें तेजी से प्रयास करने होंगे। अब हर व्यक्ति को एक दो नहीं कम से कम दस पेड़ लगाने का वादा नहीं बल्कि पक्का इरादा करना होगा। चिपको आंदोलन को दिल से अपनाना होगा। तभी हम वक्त से पहले आने वाली इस प्रलय से बच सकते हैं ।
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