नरेंद्र मोदी का मानवाधिकार रिकॉर्ड बेहद निराशाजनक है’ - ले मोंड।
कैसे विदेशों में मोदी नाम का डंका बज रहा है ये फ्रांस की प्रमुख समाचार पत्र ले मोंड के संपादकीय में छपी लेख से मालूम होता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की यात्रा पर हैं। आज वह वहां फ्रांसीसी क्रांति की याद में होने वाले बैस्टिल डे परेड में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ शामिल रहे। लेकिन वहां के अखबारों में पीएम मोदी के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया देखी गयी। फ्रांस के प्रसिद्ध समाचार पत्र ले मोंड ने प्रधानमंत्री मोदी पर छपे एक तीखे संपादकीय में कहा कि ‘उनका मानवाधिकार रिकॉर्ड बेहद निराशाजनक है’।
ले मोंड ने लिखा कि “भारत के कट्टरपंथी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बास्तील दिवस परेड में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के सम्माननीय अतिथि होंगे। बेशक, 25 साल पहले दोनों देशों के बीच 25 साल पुरानी रणनीतिक साझेदारी का जश्न मनाना या दुनिया के बहुध्रुवीय दृष्टिकोण को मान्यता देने का एक हद तक औचित्य हो सकता है। लेकिन क्या हम इस तथ्य को नजरअंदाज कर सकते हैं कि मोदी के नेतृत्व में भारत एक गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है? वहां मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनों और पत्रकारों पर हमले बढ़ रहे हैं।”
इसमें आगे कहा गया है कि “चाहे जैसे भी हो, इमैनुएल मैक्रॉन और उनके राजनयिक दल ने उन्हें शामिल करने का निर्णय ले लिया है। दोनों नेताओं के बीच मिलीभगत स्पष्ट है। फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, फ्रांस और भारत “साझा मूल्यों से जुड़े हुए हैं” और “लोकतंत्र के प्रति उनका साझा लगाव” है। यह एक चलताऊ भाषा है, जिसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है।”
भारत, धरती का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसे अक्सर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की भव्य उपाधि से सम्मानित किया जाता है। फ्रांस, मानवाधिकारों की भूमि है। आज के ये दोनों प्रमुख शीर्षक हैं, जबकि दोनों का ही वास्तविकता से दूर-दूर तक नाता नहीं है। 2014 के बाद से, जब से मोदी और उनकी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में आई है, भारत में सार्वजनिक माहौल बेहद खराब और हिंसक हो चुका है।
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